इस किस्म के गेंहू का मार्केट में 8 हजार प्रति क्विंटल का है रेट, पैदावार भी होती है तगड़ी
किसानों ने दलहन, गेहूं और धान की कई परंपरागत किस्मों को छोड़ दिया है। रोग और जलवायु परिवर्तन ने पारंपरिक किस्मों पर कम प्रभाव डाला है। इसलिए सरकार सभी परंपरागत फसलों की किस्मों को बचाने की कोशिश कर रही है। इसलिए सोना-मोती गेहूं की परंपरागत किस्म का बचाव किया गया है।
गेहूं की इस किस्म का मूल्य अधिक है क्योंकि इसमें अधिक पौष्टिक तत्व हैं। Sona-Moti Wheat एक प्राचीन किस्म है। इसमें बहुत कम ग्लूटेन है। यह गेहूं भी अधिक ग्लाइसेमिक सामग्री और फॉलिक एसिड रखता है। कुल मिलाकर, यह प्राचीन गेहूं की किस्म उच्च पोषण गुणों के लिए जानी जाती है।
सोना-मोती की मांग वृद्धि होती है क्योंकि वेल्दी होते हैं। अन्य किस्मों की तुलना में इसका मूल्य अधिक है। पिछले मौसम में पंजाब में यह 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिका है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में यह किस्म लोकप्रिय है।
सोना-मोती गेहूं किस्म की खेती को बढ़ावा
बिहार में परंपरागत सोना-मोती गेहूं की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए बिहार सरकार ने इस किस्म का बीज उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके बाद बेगूसराय के प्रत्येक कृषि क्षेत्र में खेती की जाएगी।
इसकी खेती के लिए बीज अन्य स्थानों पर उपलब्ध होगा। बिहार राज्य निगम लिमिटेड से बीज की पेशकश की गई है। 'आत्मा' इसकी खेती करती है। इसकी खेती को दूसरे स्थानों में भी बढ़ावा देने का लक्ष्य भी है।
हृदय रोगियों के लिए रामबाण
चमत्कारिक गुणों से भरपूर सोना-मोती गेंहू (Sona Moti Wheat) ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व कम होने के कारण यह ह्रदय रोग और डायबिटीज के लिए बहुत अच्छा है। साथ ही इसमें अन्य अनाजों की वनस्पतियों से कई गुणा अधिक फॉलिक एसिड, जो रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए वरदान साबित होगा।
8 हजार रुपये क्विंटल तक बिका
बिहार सरकार कृषि विभाग ने बताया कि पिछले मौसम में पंजाब में सोनी-मोती गेहूं प्रति क्विंटल 8,000 रुपये था। इस गेहूं का भाव आम गेहूं की एमएसपी (MSP) से लगभग चार गुना अधिक है।
MSP पर गेहूं फिलहाल 2275 रुपये प्रति क्विंटल है। सोना-मोती गेहूं 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसे में गेहूं की खेती अधिक लाभदायक हो सकती है। 15–20 क्विंटल प्रति एकड़ सोना मोती का उत्पादन होता है।