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भारतीय इतिहास का अमीर सेठ जिससे अंग्रेज और मुगल भी लेते थे कर्ज, उस टाइम में अंबानी से भी ज्यादा दौलत का था मालिक

आधुनिक भारत में जब भी अमीरी की बात आती है तो अक्सर मुकेश अंबानी जैसे नाम सामने आते हैं। मगर भारतीय इतिहास में एक ऐसा भी दौर था, जब एक व्यक्ति के पास इतनी संपत्ति थी कि मुगल और अंग्रेज भी उनसे कर्ज लिया करते थे।
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आधुनिक भारत में जब भी अमीरी की बात आती है तो अक्सर मुकेश अंबानी जैसे नाम सामने आते हैं। मगर भारतीय इतिहास में एक ऐसा भी दौर था, जब एक व्यक्ति के पास इतनी संपत्ति थी कि मुगल और अंग्रेज भी उनसे कर्ज लिया करते थे। यह व्यक्ति थे जगत सेठ फतेह चंद जिन्हें 1923 में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने 'जगत सेठ' की उपाधि दी थी। उनकी संपत्ति की आज की कीमत अनुमानित 1.60 लाख करोड़ रुपये होती।

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दुनिया का बैंकर

जगत सेठ को उनकी अपार संपत्ति और वित्तीय प्रबंधन की कुशलता के कारण 'दुनिया का बैंकर' कहा जाता था। 18वीं सदी में वे पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने न केवल व्यक्तियों बल्कि राष्ट्रों को भी कर्ज दिया। ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि उनके पास उस समय के सभी अंग्रेजी बैंकों की जमा राशि से अधिक संपत्ति थी और यहाँ तक कि उनकी संपत्ति ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से भी बड़ी थी।

अंग्रेजों और अन्य यूरोपीय शक्तियों को कर्ज

जगत सेठ के दफ्तर देश के कई हिस्सों में फैले हुए थे जहां से वे व्यापक रूप से पैसे उधार दिया करते थे। उनके पास आंतरिक संचार के लिए संदेशवाहक होते थे जिससे व्यापार को आसानी से चलाया जा सकता था। उन्होंने अंग्रेजों के साथ-साथ फ्रांसीसियों और पुर्तगालियों को भी बड़ी मात्रा में पैसा दिया।

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जगत सेठ का पतन कैसे हुआ?

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के उभार और बढ़ते प्रभुत्व के बीच जगत सेठ का परिवार अपनी पकड़ खो बैठा। इसके अलावा ब्रिटिश सरकार द्वारा लिया गया उनका पैसा कभी वापस नहीं किया गया जिससे उनकी संपत्ति धीरे-धीरे समाप्त हो गई। 20वीं सदी की शुरुआत तक जगत सेठ परिवार का नाम और साम्राज्य लगभग गुमनाम हो चुका था।