आपके घर में जिस साबुन का इस्तेमाल होता है वो टॉयलेट सोप है या बाथिंग सोप, बहुत लोग आज भी करते है गलत साबुन का इस्तेमाल
हम में से अधिकांश लोग अपने घरों में विभिन्न रंगों और खुशबू वाले साबुन का इस्तेमाल करते हैं। हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में साबुन की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इनके पीछे छुपे विज्ञान और कैटेगराइजेशन को बहुत कम लोग समझ पाते हैं। हमारे द्वारा रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले साबुनों में छिपे विज्ञान को समझना न केवल हमें बेहतर चयन में मदद करता है।
बल्कि यह हमें यह भी बताता है कि स्वच्छता और सौंदर्य के प्रति हमारी समझ कितनी महत्वपूर्ण है। इसलिए अगली बार जब आप सोप खरीदें, तो उसके ग्रेड और टीएफएम वैल्यू को अवश्य जांच लें।
टॉयलेट और बाथिंग सोप का भेद
अक्सर हम सभी ने अपने घरों में लाल, सफेद, ऑरेंज और अन्य रंग-बिरंगे सोप देखे हैं। लेकिन शायद ही हम में से कुछ लोग इस बात को जानते होंगे कि इनमें अंतर क्या है। ज्यादातर लाल और ऑरेंज रंग के सोप को टॉयलेट सोप माना जाता है। जबकि सफेद और अन्य हल्के रंग के सोप बाथिंग सोप की श्रेणी में आते हैं।
TFM के आधार पर सोप का वर्गीकरण
साबुनों को उनके इंग्रेडिएंट्स और टोटल फैटी मैटर (TFM) के आधार पर कैटेगराइज़ किया जाता है। टीएफएम की मात्रा जितनी अधिक होगी साबुन उतना ही बेहतर और स्किन के लिए सॉफ्ट होगा।
ग्रेड 1 साबुन में 76% से अधिक टीएफएम होता है। जो बाथिंग सोप की श्रेणी में आते हैं जबकि ग्रेड 2 और ग्रेड 3 सोप टॉयलेट सोप की श्रेणी में आते हैं।
ग्रेड 1 सोप की विशेषताएँ
ग्रेड 1 सोप जिसमें टीएफएम की मात्रा अधिक होती है स्किन को सॉफ्ट और मॉइश्चराइज़ करते हैं। इस श्रेणी के सोप में विभिन्न प्रकार के इंग्रेडिएंट्स मिले होते हैं जो त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं।
सही सोप का चयन कैसे करें
सोप खरीदते समय उसके रैपर पर दी गई जानकारी को पढ़ना चाहिए। इससे आपको पता चलेगा कि सोप किस श्रेणी में आता है और उसका TFM वैल्यू क्या है। इस तरह आप अपनी त्वचा के अनुकूल सही सोप का चयन कर सकते हैं।