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मुग़ल हरम में क़ैद महिलाओं की फ़ीलिंग्स की नही थी कोई कदर, बस मजबूर होकर करना पड़ रहा था दिनरात काम

मुगल काल में हरम का देश-दुनिया की राजनीति में बड़ा रोल हुआ करता था. हरम में अपनी जगह बनाने और किसी रानी या बेगम का खास बनने के लिए कत्ल तक हो जाते थे.
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Mughal Harem Stories
   

मुगल काल में हरम का देश-दुनिया की राजनीति में बड़ा रोल हुआ करता था. हरम में अपनी जगह बनाने और किसी रानी या बेगम का खास बनने के लिए कत्ल तक हो जाते थे. हरम की अपनी एक अलग दुनिया थी, जिसके बारे में आम लोगों का बात करना मना था.

मुगल हरम से जुड़ी ढेर सारी बातें और कहानियां लोगों के बीच मशहूर हैं. इसमें हरम में महिलाओं की संख्या, उनकी दुर्दशा और बादशाहों के व्यवहार को लेकर इतिहासकारों ने बहुत कुछ लिखा है. समय के साथ-साथ इसका इस्तेमाल और मायने बदलते गए. यहां रहने वाली औरतों की जिंदगी का सच जानकर आपकी रूह कांप जाएगी. 

बाबर ने बनवाया था पहला हरम

इतिहासकारों के मुताबिक ‘हरम’ कल्चर की शुरुआत बाबर ने की थी, बाद में उसके उत्तराधिकारियों ने इसे अपने हिसाब से मोडिफाई किया. कहा जाता है कि अकबर के हरम में सबसे ज्यादा यानी करीब 5000 औरतें थीं तो औरंगजेब दुनिया से ज्यादा दीन की बातों की परवाह करता था इसलिए उसके हरम में सबसे कम महिलाएं थी.

हरम में बादशाह अपनी थकान मिटाने और मनोरंजन के नाम पर चौबीसों घंटे रंगरलियां मनाते थे. हर मुगल बादशाह के हरम में उनके अलग नियम थे. जिनके खास किन्नर वहां अलग-अलग भूमिका निभाते थे.

हरम में पूरी तरह बैन था ये काम

अकबर के अलावा भी कई मुगल शासकों के हरम के किस्से यूरोप तक मशहूर थे. इस विषय में अकबर के बाद उसके बेटे जहांगीर का नाम सबसे पहले आता है. कहा जाता है जहांगीर के हरम में दुखों पर चर्चा के लिए कोई जगह नहीं होती थी.

यानी हरम में रह रही महिलाएं अपनी मुश्किलों पर किसी से बात तक नहीं कर सकती थीं. शाहजहां के हरम की थीम ये थी कि इस जगह पर सिर्फ सुख और आनंद की चर्चा की जाए. 

‘हरम में भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं थी’

हरम में लंबे समय तक अकेले रहने वाली महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार हो जाती थीं तो भी वो अपना दुखड़ा हरम की सुरक्षा में तैनात किन्नरों को भी नहीं सुना सकती थीं.

हरम की औरतें अपनी बीमारियों और किसी की मौत पर भी चर्चा नहीं कर सकती थीं. अगर किसी वजह से हरम की कोई महिला बीमार होती थी तो उसे तब तक ‘बीमारखाने’ में शिफ्ट कर दिया जाता था .

बाहर से चकाचक दिखने वाले हरम में औरतों की हालत बेहद दयनीय थी. इन कथित दवाखानों में भले ही हरम की महिलाओं का इलाज होता हो, लेकिन उन्हें वहां भी अकेले रहना पड़ता था.

वो अपनी शारीरिक जरूरतें भी नहीं पूरा कर पाती थीं. उम्रदराज महिलाओं को बीमारखाने में अपनी मौत का इंतजार करना पड़ता था, वहां भी उनका कोई हाल-चाल लेने वाला नहीं था. 

हरम का पहला और आखिरी नियम

हरम की दुनिया वन वे ट्रैफिक जैसी थी. जहां सिर्फ महिलाओं के आने का रास्ता था, जाने का नहीं. यहां की महिलाओं को सिर्फ बादशाह का दिल जीतना होता था.

वो किसी और के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकती थीं. इसी वजह से हरम की कई महिलाओं के संबंध चोरी छिपे ऐसा कर बैठती थीं, जिसकी उन्हें इजाजत नहीं थी.

उस दौर में भारत आए विदेशी व्यापारियों ने लिखा है कि हरम की महिलाएं झूठी बीमारी का नाटक करके इलाज के लिए आने वाले डॉक्टरों को छूने की कोशिश करती थीं.

वो डरते डरते उनसे अपने मन की बात कह देती थीं, क्योंकि वहां बादशाह अपने गुप्तचर रखते थे और नियम तोड़ने वालों को चोरी छिपे फांसी यानी मौत की सजा सुना दी जाती थी.

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