आंधी या भारी बरसात में भी नही लगेगा बिजली कट, इस खास तकनीक को लेकर विभाग ने की तैयारियां
बिहार में जब भी आंधी या बारिश आती है बिजली चले जाना आम बात है. लोगों का कामकाज प्रभावित होता है और जिंदगी थम सी जाती है. इस समस्या का सामना करते हुए नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी (एनबीपीडीसीएल) ने एक नई तकनीक की ओर कदम बढ़ाया है. इस तकनीक के माध्यम से आंधी, बारिश और वज्रपात के दौरान भी बिजली व्यवस्था बनी रहेगी, जिससे नुकसान कम हो सकेगा. इसके लिए स्पाइक अर्थिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
एनबीपीडीसीएल ने मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में इस नई पहल को हरी झंडी दिखाई है. फिलहाल, इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय प्रावधान भी किया गया है. मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी, कांटी, औराई, कटरा, गायघाट, और मड़वन प्रखंडों में इस परीक्षण की शुरुआत हो चुकी है. इस क्षेत्र में बारिश के दिनों में बिजली समस्या ज्यादा रहती है जैसे इंसुलेटर जलना, तारों का जल जाना और अन्य बिजली व्यवधान.
हाल की चुनौतियाँ और स्पाइक अर्थिंग का महत्व
हाल ही में उत्तर बिहार में आयी तेज आंधी और बारिश ने वज्रपात के साथ बड़े पैमाने पर बिजली समस्या उत्पन्न की थी. मुजफ्फरपुर के कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति लंबे समय तक प्रभावित रही जिससे कंपनी को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. इस समस्या से निपटने के लिए स्पाइक अर्थिंग को अपनाया जा रहा है और उम्मीद है कि इससे भविष्य में ऐसी स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया मिल सकेगी.
आगे की योजना और विस्तार
एनबीपीडीसीएल के अभियंताओं का कहना है कि स्पाइक अर्थिंग का सफल परीक्षण पश्चिम बंगाल में किया जा चुका है. इसकी सफलता को देखते हुए मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में भी इसे लागू करने की योजना है. यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो इसे व्यापक रूप से अपनाया जाएगा जिससे बिजली आपूर्ति में निर्बाधता सुनिश्चित हो सके.
स्पाइक अर्थिंग की तकनीकी जानकारी
स्पाइक अर्थिंग तकनीक में 25 गुणा 6 मिमी, 1.5 मीटर जीएल फ्लैट, 2.5 मीटर लंबा स्पाइक अर्थिंग इलेक्ट्रोड का उपयोग होता है. यह इंसुलेशन की सुरक्षा में सहायक होता है खासकर आंधी और भारी बारिश के दौरान जब बिजली के नुकसान का जोखिम अधिक होता है. इसका मुख्य उद्देश्य बिजली को स्थिर रखना और बाधाओं से बचाव करना है.