शादी के बाद पति-पत्नी की ये आदतें कर देती है जीवन बर्बाद, बाद में होता है पछतावा
आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उनकी नीतियाँ आज भी विश्व भर में विख्यात हैं और व्यक्तिगत व सामाजिक उत्थान में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। चाणक्य की रणनीतियों ने न केवल चंद्रगुप्त मौर्य को एक शक्तिशाली सम्राट बनाया बल्कि समाज को भी नई दिशा दी।
चाणक्य नीति की ये सिखावनी बातें आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि पहले थीं। वैवाहिक जीवन में इन नीतियों को अपनाकर न केवल एक सुखद और हार्मोनियस रिश्ता बनाया जा सकता है बल्कि यह सामाजिक स्तर पर भी एक आदर्श स्थापित कर सकता है।
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पति-पत्नी के रिश्तों में गुस्से का प्रभाव
चाणक्य नीति के अनुसार गुस्सा किसी भी रिश्ते के लिए हानिकारक है और विशेष रूप से पति-पत्नी के बीच यह विषाक्त साबित हो सकता है। गुस्सा व्यक्ति को अंधा बना देता है और उसे सही व गलत का निर्णय करने की क्षमता से वंचित कर देता है। इससे वैवाहिक जीवन में दूरियाँ बढ़ सकती हैं और अंततः रिश्ते में दरार आ सकती है।
सम्मान का महत्व
चाणक्य की नीतियों में व्यक्त किया गया है कि पति और पत्नी के बीच आपसी सम्मान अत्यंत आवश्यक है। जहाँ एक ओर सम्मान रिश्ते को मजबूत बनाता है वहीं सम्मान की कमी उसे कमजोर कर देती है। चाणक्य का मानना था कि वैवाहिक जीवन में सम्मान ही वह कड़ी है जो पति-पत्नी को एक-दूसरे से जोड़े रखती है।
संवाद की आवश्यकता
चाणक्य ने बताया कि पति-पत्नी के बीच निरंतर संवाद होना चाहिए। अक्सर छोटी-छोटी गलतफहमियाँ बड़े विवाद का रूप ले लेती हैं जिससे रिश्ते में दरार आती है। चाणक्य की नीति यह सुझाव देती है कि पति-पत्नी को चाहिए कि वे अपनी बातों को खुलकर साझा करें और किसी भी प्रकार की गलतफहमी को दूर करें।
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ईमानदारी का पालन करें
आचार्य चाणक्य का कहना है कि वैवाहिक जीवन में ईमानदारी सबसे बड़ी कुंजी है। झूठ और छल से भरा हुआ संबंध लंबे समय तक नहीं टिक सकता। यदि पति-पत्नी एक-दूसरे से अपनी बातें छिपाते हैं तो उससे रिश्ते में अविश्वास और कटुता बढ़ सकती है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। CANYON SPECIALITY FOODS इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)