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इन लोगो को दोबारा बनवाने पड़ेंगे ड्राइविंग लाइसेंस, ट्रांसपोर्ट विभाग ने लिया बड़ा एक्शन

हाल ही में ट्रांसपोर्ट विभाग ने एक ऐसा निर्णय लिया है जिससे लाखों लाइसेंस धारक प्रभावित हो रहे हैं। विभाग ने पिछले 4 महीनों से लाइसेंस की बैकलॉग को रोक रखा है। इस कदम को भ्रष्टाचार कम करने और सिस्टम को...
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हाल ही में ट्रांसपोर्ट विभाग ने एक ऐसा निर्णय लिया है जिससे लाखों लाइसेंस धारक प्रभावित हो रहे हैं। विभाग ने पिछले 4 महीनों से लाइसेंस की बैकलॉग को रोक रखा है। इस कदम को भ्रष्टाचार कम करने और सिस्टम को सुधारने की आड़ में उठाया गया है। परन्तु इससे कई लाइसेंस धारकों को अपने लाइसेंस को ऑनलाइन अपडेट करवाने में काफी परेशानी हो रही है।

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लाइसेंस धारकों की बढ़ती परेशानी

विभाग ने आर.सी. की बैकलॉग तो शुरू कर दी है लेकिन लाइसेंस संबंधित बैकलॉग अभी भी बंद है। इसके चलते लोगों में असमंजस की स्थिति है कि आखिर वे अपने लाइसेंस को कैसे अपडेट करें। खासकर वे लोग जिनके लाइसेंस पुराने समय के हैं और स्मार्ट कार्ड में नहीं बने वे विशेष रूप से परेशान हैं।

नए नियमों की ओर एक कदम

ट्रांसपोर्ट विभाग ने एक नई प्रक्रिया की शुरूआत की है जिसमें जिन व्यक्तियों का लाइसेंस पुराने समय का है और स्मार्ट कार्ड में नहीं है वे दोबारा से लर्निंग लाइसेंस से अपना लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के अनुसार व्यक्ति एक महीने बाद पक्का लाइसेंस टेस्ट देकर अपना लाइसेंस बनवा सकता है।

स्मार्ट कार्ड लाइसेंस का युग

2011 में शुरू हुए स्मार्ट कार्ड वाले लाइसेंसों ने डिजिटलीकरण की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाया। 2010 तक होलोग्राम लगे सिंगल पेज लाइसेंस बनाए जाते थे। स्मार्ट कार्ड लाइसेंस के आने के बाद वाहन पोर्टल पर इन्हें ऑनलाइन अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई। विभाग ने इस प्रक्रिया को और भी सुगम बना दिया है जिससे लोग आसानी से अपने लाइसेंस को अपडेट कर सकें।

लाइसेंस फीस की जानकारी

लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को ऑनलाइन सरल बनाने के साथ-साथ विभाग ने इसकी फीस की जानकारी भी स्पष्ट कर दी है। लर्निंग लाइसेंस के लिए 520 रुपए और पक्के लाइसेंस के लिए 1385 रुपए फीस निर्धारित की गई है। यह सूचना वाहन पोर्टल के माध्यम से आवेदकों को भेजी जाती है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई

ट्रांसपोर्ट विभाग ने भ्रष्टाचार के मामलों के सामने आने के बाद लाइसेंस की बैकलॉग को बंद करने का निर्णय लिया। स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मनीष कुमार के अनुसार हैवी लाइसेंस बनवाने के लिए नॉर्मल लाइसेंस एक साल पुराना होना चाहिए।

कुछ लाइसेंस की अवधी 50 साल, 40 साल व 30 साल तक की थी जो कि कानूनी रूप से गलत थे। इसलिए भ्रष्टाचार रोकने और सिस्टम को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।