भारत के इस 77 साल पुराने पुल को लोगों ने थूक थूक के कर दिया कमजोर, अब की हालत देखकर तो आपको भी नही होगा विश्वास
भारत परंपरा और अत्याधुनिकता का अनूठा मेल है। यहां कई ऐसे स्मारक और इंफ्रास्ट्रक्चर हैं जो देश की महानता और विविधता का प्रतीक हैं। हावड़ा पुल, जिसे लोगों ने थूक-थूक कर कमजोर कर दिया है, एक ऐसा ही स्मारक है। इसके बावजूद, इस आम घटना में एक गहरी सच्चाई छिपी हुई है। जो आज हम आपको बताएंगे।
हावड़ा ब्रिज
यह कहानी है हावड़ा पुल की, जो 1946 में बंगाल, भारत में बनाया गया था। यह पुल देश के इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत महत्वपूर्ण था। इस पुल का निर्माण बहुत अलग है। यह पुल इतना बड़ा और भारी है कि नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
पान मसाला चबाने से हावड़ा ब्रिज कमजोर
पुराने समय में हावड़ा पुल मजबूत थे। लेकिन यह समय के साथ कमजोर हो जाता है। जिससे लोग थूकते हैं। पुल से गुजरने वाली गाड़ियों में बैठे लोग गुटका, पान मसाला या तंबाकू खाते हैं और गाड़ी से मुंह निकालकर थूक देते हैं। पुल की संरचना इस थूक से कमजोर हो गई है। स्टील जो इसमें लगा था, गलने लगा है। पुल को इससे काफी नुकसान हुआ है।
छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी अवनीश शरण ने ट्वीटर पर हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) की गुटखा पीक से सनी एक तस्वीर पोस्ट की। जिसमें उन्होंने लिखा था कि 70 वर्ष पुराने पुल की स्थिति गुटखे की पीक से खराब हो रही है। हावड़ा ब्रिज पर गुटखा-चबाने वाले हमला कर रहे हैं।”
फाइबर लगाकर पुल को किया गया है संरक्षित
पुल को बचाने के लिए, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने फाइबर ग्लास से नीचे से स्टील के पायों को ढका, ताकि गुटके के पीक से पायों को नुकसान न हो। एक अनुमान है रोजाना पांच लाख पैदल यात्री और 1.2 लाख छोटे-बड़े वाहन हावड़ा ब्रिज से गुजरते हैं। 70 सालों से, लोग इस पुल के निचले हिस्से को सार्वजनिक पीकदान के रूप में उपयोग कर रहे हैं। पुल को इससे काफी नुकसान हुआ है।
Kolkata Port Trust has said saliva laced with gutkha is corroding the iconic 70-year-old bridge. The Howrah Bridge is under attack from gutkha-chewers. @shahrukh_35 @akshaykumar @ajaydevgn @SrBachchan
— Awanish Sharan 🇮🇳 (@AwanishSharan) April 21, 2022
Source: Google pic.twitter.com/sriVMIULig
50% तक कम हो गई मोटाई
पुल के खंभों को काफी नुकसान हुआ है, ट्रस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया। पिछले चार वर्षों में हैंगरों को सुरक्षित रखने वाले स्टील हुड की मोटाई पचास प्रतिशत घटी है। ट्रस्ट कहते हैं कि आधे चबाए गए पान मसाले, पान के पत्ते, चुने, सुपारी और तंबाकू में ऐसे रसायन होते हैं जो मजबूत स्टील को भी नुकसान पहुंचाते हैं। पुल को धूप, बारिश, आदि से भी नुकसान होता है।
मुद्दे की गंभीरता को समझना आवश्यक है
स्थिति को सुधारने के लिए सभी स्तरों पर समाधान खोजना होगा। पुल की स्थिरता को बनाए रखने के लिए उसकी मरम्मत के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
इसके अलावा, लोगों को शिक्षित करने और जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वे इस पुल को सम्मान देने का महत्व समझ सकें। इस पुल को बचाना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक महान स्मारक है जो हमें अतीत की याद दिलाता है। यह भी भारत की विरासत है।