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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी मुनाफे की खेती है ये फसल, कम लागत में हो सकती है अच्छी कमाई

बाढ़ से जूझ रहे क्षेत्रों में किसानों के लिए एक नई खुशखबरी है। धान की कुछ विशेष किस्म जैसे कि जल लहरी, जल निधि, जल प्रिया, और बाढ़ अवरोधी जो पानी के साथ बढ़ती हैं और गिरती नहीं।
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बाढ़ से जूझ रहे क्षेत्रों में किसानों के लिए एक नई खुशखबरी है। धान की कुछ विशेष किस्म जैसे कि जल लहरी, जल निधि, जल प्रिया, और बाढ़ अवरोधी जो पानी के साथ बढ़ती हैं और गिरती नहीं। अब किसानों को बड़ा लाभ पहुंचा सकती हैं। इन किस्मो की खासियत यह है कि ये पानी के बढ़ने के साथ-साथ ऊपर उठती जाती हैं।

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जिससे फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। इन नई किस्मो की मदद से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसान अब न केवल अपनी फसल को बचा सकेंगे बल्कि अच्छी खासी कमाई भी कर सकेंगे। यह नई तकनीकी न सिर्फ किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ दिलाने में मदद करेगा बल्कि उनके जीवन में स्थायित्व और समृद्धि भी लाएगा।

बीघा भर में 10 से 12 क्विंटल उपज

एक बीघा जमीन पर इन धान की किस्मो की खेती करने से कम से कम 10 से 12 क्विंटल उपज प्राप्त की जा सकती है। इस फसल की विशेषता यह है कि यह 5 से 6 महीने में तैयार हो जाती है और इसे आसानी से नाव से भी काटा जा सकता है क्योंकि ये किस्म पानी में बहुत अच्छी तरह से विकसित होती हैं।

स्वर्ण सब 01

जिन क्षेत्रों में पानी लंबे समय तक भरा रहता है। वहां 'स्वर्ण सब 01' धान की किस्म बेहद कारगर साबित हो सकती है। इस किस्म की खेती करना आसान है और इसकी पैदावार भी बहुत अधिक होती है। जिससे किसानों को उच्च लाभ प्राप्त हो सकता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खेती की नई तकनीक

बाढ़ के दौरान नर्सरी लगाकर रोपाई करना संभव नहीं होता है। इसलिए किसान सीधे बुवाई विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस विधि में बीजों को सीधे खेत में छिड़का जाता है और पानी की स्थिति के अनुसार फसल बढ़ती जाती है। जिसका पानी के लंबे समय तक ठहराव पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।