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इस जगह पिछले 100 सालों से मामूली जगह पर अटका पड़ा है ये विशाल पत्थर, 5.8 मेग्नीट्यूड भूकंप आया पर अपनी जगह से नही हिला तक नही

मानव जाति अपने होने का एहसास हर समय प्रकृति से करती रहती है। जबलपुर के मदन महल क्षेत्र में यह पत्थर पिछले कई सौ वर्षों से इसी स्थान पर खड़ा है। जो आज तक उस जगह से मुक्त नहीं हुआ।
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balancing rock of jabalpur
   

मानव जाति अपने होने का एहसास हर समय प्रकृति से करती रहती है। जबलपुर के मदन महल क्षेत्र में यह पत्थर पिछले कई सौ वर्षों से इसी स्थान पर खड़ा है। जो आज तक उस जगह से मुक्त नहीं हुआ। यह स्थान दुनिया भर में बैलेंसिंग रॉक या हैंगिंग रॉक के नाम से जाना जाता है। बैलेंसिंग रॉक ने कुदरत की इस मिथक की वैज्ञानिक व्याख्या खोजी।

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मदन महल की इन पहाड़ियों में कई हजारों साल से बैलेंसिंग रॉक या हैंगिंग रॉक स्थित है। माना जाता है कि यह पत्थर यहां पर कई हजारों से लाखों साल पहले ज्वालामुखी के कई विस्फोटों से बना हुआ है. हवा और पानी ने इसे कई वर्षों में बनाए रखा, इसलिए यह आज इस जगह पर स्थिर है।

भूकंप के बाद भी नहीं बिगड़ा संतुलन

1997 में जबलपुर में 5.8 मेग्नीट्यूड की फ्रीक्वेंसी में भूकंप आया था, लेकिन इस पत्थर ने भूकंप के बाद भी एक इंच भी नहीं हिला. इसका संतुलन कैसे बना हुआ है, कोई नहीं जानता। कई लोगों ने इसके पीछे का विज्ञान क्या है पता लगाने की कोशिश की, लेकिन विज्ञान और मशीनरी दोनों कुदरत के करिश्मे से पीछे हैं।

यह पत्थर, विश्व भर में बैलेंसिंग रॉक के नाम से जाना जाता है, कई सालों से इसी स्थान पर खड़ा है। इस क्षेत्र में दुनिया भर से आने वाले पर्यटक इस गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करते हैं।

गोंडवाना काल से खड़ा है यह बैलेंसिंग रॉक

यह पत्थर कई सो सालों से यहां पर खड़ा है, यानी गोंडवाना काल से। यह कुदरत का करिश्मा, धूप, सर्दी, बारिश या भूकंप, कई सदी से आज तक स्थिर है. विज्ञान ने कई बार इसके पीछे कुछ साबित करने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला। यहां हमने कई लोगों से बात की तो उन्होंने इस कुदरत के करिश्में को चमत्कार कहा।