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ये है भारत की सबसे आलसी ट्रेन! पैदल चलने वाला भी निकल जाए आगे, 46 किलोमीटर का सफर तय करती है 6 घंटों में

भारत में नीलगिरी माउंटेन ट्रेन की स्पीड भले ही धीमी हो लेकिन यह अपनी अनोखी यात्रा के लिए मशहूर है। 46 किलोमीटर की यह दूरी जहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें पलक झपकते तय कर लेती हैं
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भारत में नीलगिरी माउंटेन ट्रेन की स्पीड भले ही धीमी हो लेकिन यह अपनी अनोखी यात्रा के लिए मशहूर है। 46 किलोमीटर की यह दूरी जहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें पलक झपकते तय कर लेती हैं वहीं इस ऐतिहासिक ट्रेन को पांच घंटे का समय लगता है। फिर भी, यह ट्रेन यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय है और टिकटों के लिए हमेशा मारामारी रहती है क्योंकि लोग इसकी धीमी रफ्तार में भी सफर का आनंद लेते हैं।

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कम किराया लेकिन यादगार यात्रा

नीलगिरी माउंटेन ट्रेन में यात्रा करने के लिए जेब पर भारी बोझ नहीं पड़ता। फर्स्ट क्लास में यात्रा करने के लिए मात्र 545 रुपये का टिकट और सेकंड क्लास के लिए 270 रुपये का टिकट आपको एक अद्वितीय अनुभव देता है।

ट्रेन की खासियत

नीलगिरि माउंटेन रेलवे, जिसकी पटरियां पहाड़ों के बीच बिछाई गई हैं, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक चमत्कार मानी जाती हैं। इसके नीले और क्रीम रंग के लकड़ी से बने डिब्बे, बड़ी खिड़कियों के साथ, अपने 46 किलोमीटर के सफर में 16 सुरंगों और 250 से अधिक पुलों को पार करती है।

नीलगिरि माउंटेन ट्रेन का ऐतिहासिक सफर

1899 में शुरू हुई नीलगिरि एक्सप्रेस, जिसे अंग्रेजों ने निर्मित किया था, आज भी अपनी स्टीम इंजन की सीटी और परंपरागत चाल के साथ यात्रियों को अतीत की याद दिलाती है। 2005 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था।

धीमी स्पीड का अनुभव

यह ट्रेन मेट्टुपालयम से ऊटी की ओर अपनी यात्रा करती है और शुरुआती चरण में सीधे रास्ते पर चलने के बाद, यह तेजी से ऊंचाई पर चढ़ती है। इसकी यात्रा के दौरान, यात्री अंधेरी सुरंगों, घुमावदार पहाड़ी ढलानों, और कोहरे के बीच एक रोमांचकारी सफर का अनुभव करते हैं।