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साली को आधी घरवाली कहने की है ये वजह, सच्चाई जानकर तो मुंह हो जाएगा शर्म से लाल

भारतीय समाज में 'साली आधी घरवाली होती है' यह कहावत बेहद प्रचलित है लेकिन इसके पीछे के तर्क और सामाजिक प्रभाव को समझना जरूरी है
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sali is aadhi ghawali: भारतीय समाज में 'साली आधी घरवाली होती है' यह कहावत बेहद प्रचलित है, लेकिन इसके पीछे के तर्क और सामाजिक असर को समझना जरूरी है. आइए इस विषय पर गहराई से...

कहावत का अर्थ और महत्व

भारतीय समाज में साली और जीजा के बीच एक खास तरह का हंसी-मजाक और अनौपचारिकता देखी जाती है. 'साली आधी घरवाली होती है' यह मुहावरा इसी अनौपचारिकता को दर्शाता है जिसका आशय है कि साली से वैसी ही हंसी-मजाक की जा सकती है जैसी उसकी बहन यानी पत्नी के साथ की जाती है.

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सामाजिक प्रतिक्रिया और विरोध

इस मुहावरे को लेकर समाज में दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखी गई हैं. एक ओर कुछ लोग इसे हल्के-फुल्के मनोरंजन और सामाजिक संबंधों को गहरा बनाने के लिए उचित मानते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे महिलाओं के प्रति अनुचित और असम्मानजनक रवैया के रूप में देखते हैं. वे मानते हैं कि इस तरह के मुहावरे महिलाओं को एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत करते हैं और उनके सम्मान को कम करते हैं.

सांस्कृतिक पहलू

सनातन धर्म में साली को छोटी बहन और देवर को छोटे भाई का दर्जा दिया जाता है. यह संबंध आपसी सम्मान और रक्षा की भावना पर आधारित होता है. इस प्रकार की संस्कृति में साली और जीजा के बीच के रिश्ते को बहुत ही सौम्य और पवित्र माना जाता है.

आज के समय में समाज में बदलाव

आधुनिक समय में जहां एक ओर भारतीय समाज परंपराओं का सम्मान करता है वहीं वह समाजिक समानता और सम्मान के मूल्यों को भी बढ़ावा देता है. इसलिए ऐसे मुहावरे जो कभी हंसी-मजाक के लिए उचित समझे जाते थे अब सोच-समझकर उपयोग में लाए जाते हैं.