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अगले महीने की 1 तारिख से राजस्थान में होगा ये बड़ा बदलाव, विभाग ने जारी किए आदेश

राजस्थान सरकार ने प्रदेश के भीषण गर्मी के मौसम को देखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 1 मई 2024 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों के कार्यसमय में संशोधन किया गया है।

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MGNREGA worker timing
   

राजस्थान सरकार ने प्रदेश के भीषण गर्मी के मौसम को देखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 1 मई 2024 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों के कार्यसमय में संशोधन किया गया है।

नई समय सारणी के अनुसार कार्य अब सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया जाएगा। इस समयावधि में बदलाव का मुख्य उद्देश्य गर्मी के प्रकोप से मजदूरों को बचाना है। यह आदेश 15 जुलाई 2024 तक प्रभावी रहेगा।

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राजस्थान सरकार का यह कदम मनरेगा श्रमिकों को न केवल गर्मी से राहत प्रदान करेगा बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में भी मदद करेगा। यह दिखाता है कि सरकार श्रमिकों के कल्याण के प्रति कितनी सजग है और उनकी दुर्दशा को समझती है।

मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि

हाल ही में केंद्र सरकार ने मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। 1 अप्रेल 2023 से लागू इस नई व्यवस्था के अंतर्गत राजस्थान में मजदूरी की दर 255 रुपये से बढ़कर 266 रुपये प्रतिदिन की गई है।

इस बढ़ोतरी से श्रमिकों को उनके जीवनयापन में कुछ हद तक सहायता मिलेगी। यह वृद्धि विशेष रूप से उन राज्यों में की गई है जहाँ मजदूरी की दरें अपेक्षाकृत कम थीं।

MGNREGA employs

श्रम दिवस पर मजदूरों को मिलेगी बड़ी राहत

श्रम दिवस के अवसर पर यह नया कार्यक्रम और मजदूरी वृद्धि मनरेगा श्रमिकों के लिए दोहरी खुशियां लेकर आई हैं। गर्मी की तपिश से बचने के लिए सुबह के ठंडे समय में काम करने का अवसर और साथ ही साथ मजदूरी में वृद्धि श्रमिकों के कामकाजी जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

इससे उनके उत्पादकता में भी इजाफा होगा क्योंकि वे अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे और उच्च तापमान के प्रभाव से मुक्त रहेंगे।

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योजना और जिलाधिकारियों की भूमिका

15 जुलाई 2024 के बाद संबंधित जिलाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों की परिस्थितियों के आधार पर आगे के निर्णय लेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि श्रमिकों की सुरक्षा और भलाई हमेशा प्राथमिकता में रहे।

इसके अलावा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय बनाकर श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नई नीतियाँ और योजनाएँ विकसित की जाएंगी।