इस मुगल बादशाह ने मां की उम्र की विधवा महिला से की थी शादी, अकेले में पढ़ना कारण
मुगल साम्राज्य के सबसे विख्यात शासकों में से एक अकबर अपने शासन काल के दौरान न केवल युद्ध कौशल में सबसे आगे थे बल्कि उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और समाजिक सुधारों के माध्यम से भी अपना नाम अमर कर दिया. अकबर के शासन का मुख्य आधार था उनकी न्यायप्रियता और सभी धर्मों के प्रति समान रुख.
धार्मिक सहिष्णुता की नीति (Religious Tolerance)
अकबर ने अपने शासन काल में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों के हितों को समझा और उनके बीच समन्वय स्थापित करने के लिए कई नीतियाँ लागू कीं. उन्होंने धार्मिक आजादी की गारंटी दी और जजिया कर को समाप्त कर दिया जो कि मुस्लिम शासकों द्वारा गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था. इस पहल ने उन्हें सभी धर्मों के लोगों का समर्थन दिलाया.
सलीमा सुल्तान से विवाह (Salima Sultan)
अकबर की पर्सनल लाइफ भी काफी चर्चित रही है. उन्होंने अपने संरक्षक बैरम खां की विधवा सलीमा सुल्तान से विवाह किया जो उम्र में उनसे काफी बड़ी थीं. यह विवाह उस समय के सामाजिक नियमों को तोड़ने वाला कदम माना गया था. इस घटना ने अकबर की उदार छवि को और भी मजबूत किया.
युद्ध नीति और बैरम खां का प्रभाव (War Strategies)
बैरम खां जो कि एक क्रूर लेकिन कुशल सेनापति थे ने अकबर को युद्ध कला की शिक्षा दी. अकबर ने अपने शासनकाल में बैरम खां की शिक्षाओं का उपयोग करते हुए कई युद्धों में विजय प्राप्त की. उनकी युद्ध नीति (Military Tactics) में संयम और विवेक का खास महत्व था जिससे वे अपने शत्रुओं को पराजित करने में सफल रहे.
निर्णय लेने की क्षमता (Decision Making)
अकबर की सबसे बड़ी खूबियों में से एक थी उनकी निर्णय लेने की क्षमता. उन्होंने विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए ऐसे निर्णय लिए जो न केवल उनके साम्राज्य के लिए लाभकारी थे बल्कि समाज के विकास में भी योगदान देते थे. उनके निर्णयों ने उन्हें इतिहास में 'महान' के रूप में स्थान दिलाया.
साम्राज्य का विस्तार और विकास (Empire Expansion)
अकबर ने अपने शासन के दौरान मुगल साम्राज्य को विस्तार दिया और उसे और अधिक सशक्त बनाया. उन्होंने कई नए क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिलाया और वहां की प्रजा को भी अपने प्रशासनिक ढांचे में सम्मिलित किया. इस तरह के कदमों ने उनके साम्राज्य को एक संगठित और विकसित राज्य में बदल दिया.