ये मुगल बादशाह गंगाजल पीने के लिए खर्च करता था अपनी दौलत, नाम जानकर तो नही होगा विश्वास
भारतीय इतिहास में मुगल सम्राट अकबर का नाम सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली शासकों में से एक के रूप में लिया जाता है। उनके शासनकाल में कई खास उपलब्धियां हुईं लेकिन उनकी एक खास आदत जो विशेष रूप से चर्चा का विषय बनती है, वह है उनका गंगाजल के प्रति अगाध प्रेम। अकबर की इस विशेषता को उनके जीवनशैली और राजकीय नीतियों के साथ जोड़ा जा सकता है।
गंगाजल
अकबर का मानना था कि गंगाजल में अनोखी शुद्धता और स्वास्थ्य वर्धक गुण होते हैं। इसलिए उन्होंने अपने राजकाल में केवल गंगाजल का ही सेवन किया। उनकी इस विशेष पसंद के कारण उन्हें गंगाजल भरकर हरिद्वार से लाहौर तक पहुँचाया जाता था, जो उस समय एक दुर्लभ और कठिन कार्य था। गंगाजल को बैक्टीरिया से दूषित हुए बिना लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता था, जो इसे लंबी दूरी तक पहुँचाने में सहायक था।
गंगाजल की आपूर्ति और इसका महत्व
सम्राट अकबर ने जब लाहौर को अपनी राजधानी बनाया, तो गंगाजल की आपूर्ति को बनाए रखना एक चुनौती थी। उस दौरान, गंगाजल को विशेष रूप से हरिद्वार से लाहौर तक पहुँचाने के लिए व्यवस्था की गई थी। यह व्यवस्था न केवल महंगी थी बल्कि इसमें राजकोष से बड़ी मात्रा में धन भी खर्च होता था। इस विशेष प्राथमिकता के पीछे अकबर का यह विश्वास था कि गंगाजल में कई रोगों से लड़ने की क्षमता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी था।
राजा और गंगाजल
अकबर के समय में गंगाजल का उपयोग केवल राजसी व्यक्तियों तक सीमित था, और आम जनता को इसका सेवन करने की अनुमति नहीं थी। आम लोग स्थानीय कुओं और तालाबों के पानी पर निर्भर थे। यह व्यवस्था सामाजिक विषमता को दर्शाती है, जो उस समय प्रचलित थी। अकबर का यह विशेष रूचि उनके राजसी जीवनशैली का प्रतीक भी थी, जिसमें वे अपने लिए श्रेष्ठ और उत्कृष्ट चीजों का चयन करते थे।