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शरीफ लगने वाले इस देश ने ले रखा है सबसे ज्यादा कर्जा, जाने लिस्ट में किस नम्बर पर भारत और पाकिस्तान

आज के युग में विश्व के प्रत्येक देश पर किसी न किसी रूप में कर्ज (Debt) का बोझ है। यह बोझ कुछ देशों पर इतना अधिक है कि उन्हें विश्व के शीर्ष कर्जदार देशों में गिना जाता है। इस लिस्ट में विकसित (Developed) और...
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Top 10 debtor country in the world
   

आज के युग में विश्व के प्रत्येक देश पर किसी न किसी रूप में कर्ज (Debt) का बोझ है। यह बोझ कुछ देशों पर इतना अधिक है कि उन्हें विश्व के शीर्ष कर्जदार देशों में गिना जाता है। इस लिस्ट में विकसित (Developed) और विकासशील (Developing) दोनों प्रकार के देश शामिल हैं।

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विश्व के शीर्ष कर्जदार देशों की सूची में शामिल होना किसी भी देश के लिए चिंता का विषय (Matter of Concern) है। इस समस्या से निपटने के लिए समग्र और सतत उपायों (Sustainable Solutions) की आवश्यकता है, जिससे कर्ज के बोझ तले दबे देश आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Freedom) की ओर बढ़ सकें।

विकसित देशों पर कर्ज का पहाड़

ब्राजील (Brazil) से लेकर अमेरिका (USA) तक, विकसित देश भी कर्ज के भारी बोझ तले दबे हुए हैं। इन देशों पर लगा कर्ज का आंकड़ा ट्रिलियन (Trillion) डॉलर में है, जो उनके आर्थिक संकट (Economic Crisis) की गंभीरता को दर्शाता है।

कर्जदारों की सूची में शामिल प्रमुख देश 

  • ब्राजील: दक्षिण अमेरिका का यह देश 1.6 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के साथ इस सूची में दसवें स्थान पर है।
  • कनाडा: 1.8 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के साथ नवम स्थान पर है।
  • जर्मनी: 2.6 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के साथ आठवें स्थान पर है।
  • ब्रिटेन: 2.7 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के साथ सातवें स्थान पर है।
  • भारत: 2.7 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के साथ छठवें स्थान पर है।
  • इटली, फ्रांस, जापान, चीन और अमेरिका इस सूची में क्रमशः पांचवें से पहले स्थान पर हैं, जिन पर करोड़ों ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है।

कर्ज के पीछे के कारण 

ये देश क्यों कर्ज में डूबे हुए हैं? इसके पीछे कई कारण (Reasons) हैं जैसे कि आर्थिक विकास (Economic Development), सामाजिक कल्याण कार्यक्रम (Social Welfare Programs), रक्षा खर्च (Defense Spending) और अन्य आंतरिक तथा बाहरी आर्थिक चुनौतियां।

आर्थिक संकट से उबरने की चुनौतियां

इन देशों के सामने अब बड़ी चुनौती (Challenge) यह है कि कैसे इस भारी कर्ज से उबरा जाए और आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) को पुनः प्राप्त किया जाए। इसके लिए नीतिगत सुधार (Policy Reforms), आर्थिक विकास के नए अवसरों का सृजन और वैश्विक सहयोग (Global Cooperation) महत्वपूर्ण होगा।