तवायफों के श्रृंगार में बेहद खास होती थी ये चीज, खूबसूरती में लगा देता था चार चांद
tawayafon ka sringar: तवायफों के जीवन में श्रृंगार की अहमियत को समझने के लिए हमें उनके दैनिक जीवन की गहराइयों में झाँकना होगा. ये महिलाएँ अपने रोज़मर्रा के कार्यकलापों में कई घंटे श्रृंगार (traditional makeup artistry) में लगा देती थीं. उनके लिए यह केवल सुंदर दिखने का माध्यम नहीं बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति का जरिया भी था. श्रृंगार करने के लिए वे कई प्रकार के नायाब और बेशकीमती सामग्रियों का इस्तेमाल (luxury beauty products) करती थीं.
खास सामग्री का चयन
मशहूर तवायफें अपने सजने-संवरने के लिए काफी महंगी और नायाब चीजों का चुनाव करती थीं. इनके कपड़े (luxurious traditional clothing) और जेवरात, जिसमें भारी भरकम गहने और सोने-चाँदी के काम शामिल होते थे, अक्सर शहर और देश के उत्कृष्ट कारीगरों द्वारा निर्मित होते थे. इन आभूषणों को पहनना केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि एक उच्च सामाजिक स्थिति की पहचान (symbol of high social status) भी माना जाता था.
गजरा और इसका महत्व
तवायफों के श्रृंगार में फूलों का गजरा एक खास आकर्षण रखता था. इन गजरों को बनाने के लिए सुंदर और महंगे फूलों का चयन (selection of premium flowers) किया जाता था. विशेष मौकों पर, यह गजरे न केवल उनकी खूबसूरती को बढ़ाते थे बल्कि उनकी गंध से उनके चारों ओर का माहौल भी सुगंधित हो उठता था. इस कार्य में घंटों की मेहनत और कलात्मकता (artistic dedication) लगती थी, जो उनकी जिंदगी में श्रृंगार के महत्व को दर्शाता है.
कला और श्रृंगार का संगम
तवायफों के कोठों पर रहने वाली कमसिन लड़कियों को न केवल कला की शिक्षा दी जाती थी, बल्कि उन्हें सजने-संवरने की भी विशेष तालीम (training in artistic makeup) प्रदान की जाती थी. इस तरह, श्रृंगार केवल उनके रूप को ही नहीं निखारता था, बल्कि उनकी प्रतिभा और कलात्मकता को भी बढ़ावा देता था. यह प्रक्रिया उन्हें समाज में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती थी और उनकी कला को और अधिक समृद्ध बनाती थी.