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हरियाणा में अबकी बार इस कार गेंहु कटाई में हो रही है देरी, गेंहु उत्पादन में इतनी प्रतिशत की हो सकती है बढ़ोतरी

हरियाणा राज्य में इस वर्ष ठंडे मौसम की लंबी खिंचती अवधि ने गेहूं की कटाई में अप्रत्याशित देरी का कारण बनी है। जहाँ एक ओर 1 अप्रैल से ही राज्य में गेहूं की खरीद आरंभ हो गई थी, वहीं कई मंडियों में अभी तक गेहूं का...
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Wheat Cultivation in Haryana
   

हरियाणा राज्य में इस वर्ष ठंडे मौसम की लंबी खिंचती अवधि ने गेहूं की कटाई में अप्रत्याशित देरी का कारण बनी है। जहाँ एक ओर 1 अप्रैल से ही राज्य में गेहूं की खरीद आरंभ हो गई थी, वहीं कई मंडियों में अभी तक गेहूं का एक भी दाना नहीं पहुंचा है।

आज हम इस स्थिति के पीछे के कारणों और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे। जहां एक ओर किसानों और राज्य के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं, वहीं इस देरी से उम्मीद की एक किरण भी नज़र आती है कि गर्मी के आगमन के साथ न सिर्फ कटाई में तेजी आएगी।

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बल्कि पैदावार में भी वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में किसानों को धैर्य रखते हुए सही समय का इंतजार करना होगा और सरकार तथा संबंधित विभागों को इस दौरान किसानों का सहयोग करना चाहिए।

मौसम की मार

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के दौरान असामान्य रूप से कम तापमान के कारण गेहूं की फसल पकने में देरी हुई है। आमतौर पर अप्रैल के पहले सप्ताह में गेहूं की आवक मंडियों में शुरू हो जाती है।

लेकिन इस साल ठंडे मौसम ने इस प्रक्रिया को 10-15 दिनों तक धकेल दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि 20 अप्रैल के बाद कटाई में तेजी आने की संभावना है और इस देरी के बावजूद पैदावार में 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

किसानों की चुनौतियाँ

इस बीच किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मार्च में पश्चिमी विक्षोभ के कारण आई प्रतिकूल मौसमी स्थितियों ने फसल कटाई में और देरी का कारण बना।

इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिससे उत्पादन में कमी की आशंका है।

गेहूं की खेती आँकड़े और अनुमान

करनाल जिले में इस बार 3.80 लाख एकड़ भूमि पर गेहूं की खेती की गई है। विभाग के अनुसार प्रति एकड़ औसतन 23 क्विंटल पैदावार की उम्मीद है, जिससे इस सीजन में लगभग 8 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक का अनुमान है।

मंडियों में सन्नाटा

गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू हुए एक हफ्ते बीत चुके हैं, परन्तु कई क्रय केंद्रों पर अभी तक गेहूं की आवक नहीं हो रही है। सोनीपत और पानीपत जैसे जिलों में तो मंडियाँ खाली पड़ी हैं। किसान उपज बेचने के लिए केंद्रों पर नहीं आ रहे हैं, जिससे अनाज के उठान और परिवहन की प्रक्रिया में भी विलंब हो रहा है।