हमारे आसपास पाए जाने वाला ये पेड़ देता है सबसे ज्यादा ऑक्सिजन, जाने घर से कितनी दूरी पर लगवा सकते है ये पेड़
पीपल का पेड़ न केवल प्रकृति की एक अनोखी देन है बल्कि भारतीय संस्कृति में इसका गहरा धार्मिक महत्व भी है। यह पेड़ न केवल 24 घंटे ऑक्सीजन देने की अपनी अनोखी क्षमता के लिए जाना जाता है बल्कि यह पर्यावरणीय लाभों का भी एक बड़ा स्रोत है। पीपल का पेड़ सालाना लगभग 100 किलोग्राम ऑक्सीजन प्रदान करता है जो इसे शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक खास प्रजाति बनाता है।
पीपल और भारतीय संस्कृति में इसका स्थान
भारतीय संस्कृति में पीपल को 'देव वृक्ष' के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में पीपल की पूजा करने की परंपरा है और इसे विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। पीपल को अक्सर आत्माओं का निवास स्थान माना जाता है इसलिए इसके नीचे रात्रि में सोने की मनाही है। वैज्ञानिक तौर पर यह देखा गया है कि पीपल रात में भी ऑक्सीजन देने की अपनी अनोखी प्रवृत्ति के कारण ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पीपल का पेड़ और उसके लाभ
पीपल का पेड़ पर्यावरण को कई तरह से लाभ पहुँचाता है। यह वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वायु गुणवत्ता में सुधार करता है और गर्मी के दिनों में ठंडक प्रदान करता है। इसकी घनी पत्तियाँ और विशाल कैनोपी सूर्य की कठोर किरणों से राहत देने का काम करता हैं जिससे यह शहरी वातावरण में एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है।
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पीपल के पेड़ की वास्तुशास्त्र में भूमिका
वास्तुशास्त्र के अनुसार, पीपल का पेड़ घर के सामने नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि इसकी छाया घर पर नहीं पड़नी चाहिए। इसे घर से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर लगाना उत्तम माना जाता है, जिससे इसके पारिस्थितिकीय लाभ तो मिलें, लेकिन नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके।