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गेंहु की इस किस्म से किसानों को मिलेगी बंपर पैदावार, एक एकड़ में 5 किलो बीज से मिलेगी 40 क्विंटल की पैदावार

भारत में कृषि क्षेत्र हमेशा से ही नवाचारों का गवाह रहा है। इसी क्रम में, राजस्थान के भरतपुर जिले के एक छोटे से गांव पिपला के किसान दिनेश चंद तेनगुरिया ने इजराइली गेहूं की खेती करके एक नई मिसाल कायम की है।
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भारत में कृषि क्षेत्र हमेशा से ही नवाचारों का गवाह रहा है। इसी क्रम में, राजस्थान के भरतपुर जिले के एक छोटे से गांव पिपला के किसान दिनेश चंद तेनगुरिया ने इजराइली गेहूं की खेती करके एक नई मिसाल कायम की है। उनकी इस पहल ने न केवल उनकी बल्कि आसपास के कई किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार का मार्ग प्रशस्त किया है।

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इजराइली गेहूं की खेती

दिनेश चंद तेनगुरिया ने जब से इजराइली गेहूं की खेती शुरू की है, तब से उनकी किस्मत ही बदल गई। इस गेहूं की खेती के लिए एक एकड़ में मात्र 5 किलो बीज की जरूरत होती है और प्रति एकड़ पैदावार 40 क्विंटल तक होती है, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कहीं अधिक है। इसका दाना मोटा और भारी होता है, जो इसे बाजार में विशेष बनाता है।

खेती की प्रेरणा और शुरुआत 

दिनेश चंद को यह विचार अपने एक रिश्तेदार से आया, जो इजराइल में रहते हैं। उनकी इजराइली कृषि पद्धति और गेहूं की गुणवत्ता की प्रशंसा ने दिनेश को इस नई खेती की ओर आकर्षित किया। इसके बाद, उन्होंने इजराइल से गेहूं के बीज मंगवाए और अपने खेतों में इसकी बुआई की।

आर्थिक सफलता का मार्ग 

दिनेश चंद की इस पहल ने उन्हें पहले ही साल में बंपर पैदावार दी। इजराइली गेहूं की बाली, भारतीय गेहूं की किस्मों से तीन गुना बड़ी होती है, जिससे उत्पादन भी लगभग तीन गुना बढ़ जाता है। इस सफलता ने दिनेश को कृषि क्षेत्र में एक पहचान दिलाई और कृषि विभाग के अधिकारियों का ध्यान भी उनकी ओर आकर्षित किया।

जैविक खाद का उपयोग 

इस खेती में दिनेश चंद ने केवल जैविक खाद का उपयोग किया है, जिससे उत्पादन में कोई कमी नहीं आई है। उनकी इस पहल ने न केवल उनके लिए बल्कि आसपास के कई किसानों के लिए भी संदेश दिया है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ नई और उन्नत खेती की तकनीकों को अपनाने से कैसे बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।