home page

Today Cotton Price: भारत में यहां 8000 रुपए के पार जा सकता है कॉटन का भाव, इस कारण भाव में हो रही तगड़ी बढ़ोतरी

महाराष्ट्र में विशेष रूप से अकोला मंडी में कपास की कीमतों में एक दीर्घकालिक वृद्धि देखी जा रही है। जहां एक समय लोकल कॉटन का अधिकतम दाम 8000 रुपये प्रति क्विंटल को छूने वाला है।
 | 
cotton-price-will-cross-rs-8000
   

महाराष्ट्र में विशेष रूप से अकोला मंडी में कपास की कीमतों में एक दीर्घकालिक वृद्धि देखी जा रही है। जहां एक समय लोकल कॉटन का अधिकतम दाम 8000 रुपये प्रति क्विंटल को छूने वाला है। वहीं अन्य मंडियों में भी कपास के दाम 7000 से 7800 रुपये के बीच में हैं।

अकोला में इस समय कपास का दाम 7900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है जो किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित हो रहा है। महाराष्ट्र में कपास की कीमतों में वृद्धि किसानों के लिए एक संजीवनी साबित हुई है। इससे न केवल उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

बल्कि कपास की खेती के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ेगा। सरकार के MSP निर्धारण और कपास के दामों में सुधार से किसानों को उनके श्रम का उचित मूल्य मिलने की उम्मीद है जो भारतीय कृषि क्षेत्र के सतत विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

केंद्र सरकार का MSP निर्धारण किसानों को राहत

केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे वाले की MSP 6620 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की है। इस निर्णय से किसानों को उनकी फसल के उचित मूल्य मिलने की आशा है। विशेषकर उन किसानों के लिए जो अच्छे दाम की प्रतीक्षा में अपनी फसल को स्टोर करके रखे हुए थे।

कपास का उत्पादन और कीमतों में संबंध

वर्ष 2023-24 में कपास का उत्पादन 323.11 लाख गांठ अनुमानित है जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है। इस उत्पादन में कमी के कारण कीमतों में वृद्धि होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस वर्ष कपास की आपूर्ति में कमी के अनुमान के साथ ही कीमतों में सुधार की शुरुआत हुई है जो महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कॉटन उत्पादक प्रदेश के किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

मंडी के दामों में उछाल

विभिन्न मंडियों में कपास के दामों में हुए सुधार से किसानों की आशाएं बढ़ी हैं। अमरावती, देउलगाँव, परभनी और उमरेड जैसी मंडियों में कपास के दामों में वृद्धि किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य प्रदान कर रही है। इससे किसानों को उनके घरेलू आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है और उन्हें भविष्य में भी खेती के प्रति प्रोत्साहित कर रही है।