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Traffic Rules: शराब नही पी हो तो भी कट सकता है ड्रिंक एंड ड्राइव का चालान? जाने क्या कहता है नियम

अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता है और ट्रैफिक पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। पुलिस ड्रिंक एंड ड्राइव की स्थिति की पहचान करने के लिए ब्रेथ-एनालाइजर टेस्ट कराती है...
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Drink and drive rules
   

अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता है और ट्रैफिक पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। पुलिस ड्रिंक एंड ड्राइव की स्थिति की पहचान करने के लिए ब्रेथ-एनालाइजर टेस्ट कराती है जिसमें ड्राइवर को एक डिवाइस में सांस फूंकनी होती है।

इस टेस्ट से पता चलता है कि व्यक्ति ने शराब पी है या नहीं। ड्रिंक एंड ड्राइव एक गंभीर अपराध है और इससे बचने के लिए हर किसी को सतर्क रहना चाहिए। ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम जैसी स्थितियों के कारण बिना शराब पिए भी व्यक्ति का ब्रेथ-एनालाइजर टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है।

इसलिए अगर कोई व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित है तो उसे डॉक्टर का पर्चा हमेशा साथ रखना चाहिए ताकि कानूनन परेशानी से बचा जा सके। ड्राइवरों को खुद और दूसरों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी से गाड़ी चलानी चाहिए और कानूनी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।

शराब पीकर ड्राइव करने पर जुर्माना

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भारत में शराब पीकर वाहन चलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। पहली बार पकड़े जाने पर 10,000 रुपये का चालान और छह महीने तक की जेल हो सकती है। अगर दूसरी बार अपराध करते हुए पकड़ा गया तो 15,000 रुपये का जुर्माना और दो साल तक की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने वाले ड्राइवर का वाहन जब्त करने के अलावा ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।

बिना पिए भी पॉजिटिव रिजल्ट क्यों आता है?

कई बार कुछ लोग शराब नहीं पीते फिर भी ब्रेथ-एनालाइजर टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते हैं। इसका कारण ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम हो सकता है जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कार्बोहाइड्रेट एल्कोहल (इथेनॉल) का उत्सर्जन करता है।

अगर व्यक्ति अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेता है तो उसके शरीर में एल्कोहल का प्रभाव दिख सकता है। इसी कारण से ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति का ब्रेथ-एनालाइजर टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है।

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के लक्षण और प्रभाव

इस सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। नशे जैसे लक्षणों के कारण व्यक्ति का व्यवहार भी बदल सकता है। इसका निदान और इलाज आवश्यक है ताकि पीड़ित व्यक्ति समाज में सुरक्षित रूप से जीवन बिता सके और उसके स्वास्थ्य को कोई और नुकसान न हो।

ट्रैफिक चालान से बचने के उपाय

अगर आप या आपका कोई जानकार ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम से पीड़ित है तो उसे हमेशा अपने डॉक्टर का पर्चा अपने पास रखना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस द्वारा ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले में पकड़े जाने पर व्यक्ति डॉक्टर का पर्चा दिखाकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकता है।

इससे यह साबित होगा कि उसके पॉजिटिव टेस्ट का कारण यह सिंड्रोम है न कि शराब पीना। इससे ड्रिंक एंड ड्राइव का चालान कटने से भी बचा जा सकता है।