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ट्रेन चलाने से पहले ट्रेन ड्राइवर को देना पड़ता है ये खास टेस्ट, फैल हुए तो नही चला सकते ट्रेन

भारतीय रेलवे का नाम आते ही मन में देश के हर कोने को जोड़ने वाले विशाल नेटवर्क की छवि उभर आती है। रोजाना हजारों ट्रेनें अपने निर्धारित पथ पर दौड़ती हैं, जिन्हें सुरक्षित और सटीक संचालित करने का जिम्मा लोको...
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Loco Pilot drink test (1)
   

भारतीय रेलवे का नाम आते ही मन में देश के हर कोने को जोड़ने वाले विशाल नेटवर्क की छवि उभर आती है। रोजाना हजारों ट्रेनें अपने निर्धारित पथ पर दौड़ती हैं, जिन्हें सुरक्षित और सटीक संचालित करने का जिम्मा लोको पायलट का होता है। लेकिन इस जिम्मेदारी के साथ ही कई खास नियमों का पालन भी जुड़ा होता है।

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जिन्हें हर लोको पायलट को कड़ाई से मानना होता है। भारतीय रेलवे का यह कदम न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि यह लोको पायलटों को भी अपनी जिम्मेदारी के प्रति अधिक सजग और सतर्क रहने का संदेश देता है।

इस प्रकार की प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय रेलवे न केवल देश में सुरक्षित और विश्वसनीय परिवहन सेवा प्रदान कर रहा है, बल्कि यात्रा के दौरान उच्चतम सुरक्षा मानकों का पालन करने की दिशा में भी अग्रसर है।

लोको पायलट की जिम्मेदारी और सुरक्षा

एक लोको पायलट के कंधों पर न सिर्फ ट्रेन के इंजन का संचालन होता है, बल्कि पीछे चल रहे 24 डिब्बों और उनमें सवार हजारों यात्रियों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी होती है। यही कारण है कि लोको पायलट को विशेष नियमों और परीक्षणों के अधीन रखा जाता है।

ठंड के महीनों में विशेष जिम्मेदारी

विशेषकर ठंड के महीनों में, लोको पायलट को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है और इंजन पर पूरी तरह से कमांड बनाए रखनी होती है। इस दौरान, लोको पायलट का एक विशेष टेस्ट लिया जाता है जो उसकी फिटनेस और सजगता की जांच करता है।

लोको पायलट का अनिवार्य परीक्षण

इस परीक्षण का नाम है ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट। इस जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि लोको पायलट ने शराब का सेवन तो नहीं किया है। यदि जांच में यह पाया जाता है कि लोको पायलट ने हाल ही में शराब का सेवन किया है, तो उसे ड्यूटी पर नहीं जाने दिया जाता। इस प्रक्रिया के द्वारा, ट्रेन की सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित किया जाता है।

ट्रेन संचालन में सुरक्षा का महत्व

लोको पायलट का यह परीक्षण सिर्फ ट्रेन में बैठने से पहले ही नहीं, बल्कि उतरने के बाद भी लिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि लोको पायलट अपनी पूरी ड्यूटी के दौरान सतर्क और फिट रहा। भारतीय रेलवे द्वारा इस प्रकार की सख्त जांच और नियमों का पालन करने का मुख्य उद्देश्य ट्रेनों का सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करना है।