फूल पत्तियों की मदद से आदिवासी महिलाएं बनाती है हर्बल गुलाल, जाने कैसे बनकर तैयार होता है अनोखा गुलाल
होली का त्योहार नजदीक आते ही बाजारों में इसकी धमक साफ तौर पर महसूस की जा सकती है। रंग और गुलाल का बाजार विशेष रूप से चहल-पहल से भरा नजर आता है। शहर की सजी दुकानें और वहां उमड़ते लोगों का सैलाब होली के त्योहार के प्रति उनकी उत्सुकता और उत्साह को दर्शाता है।
इस वर्ष खासकर हर्बल कलर्स की मांग में अधिक वृद्धि देखी जा रही है जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि त्वचा के लिए हानिरहित भी हैं। होली का त्योहार हमें न सिर्फ खुशियां मनाने का अवसर देता है बल्कि प्रकृति से जुड़ने का भी सन्देश देता है।
हर्बल गुलाल का उपयोग करके हम इस त्योहार को और भी सुरक्षित और खुशियों भरा बना सकते हैं। उदयपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किये जा रहे हर्बल गुलाल होली के त्योहार को एक नई दिशा और आयाम प्रदान कर रहे हैं।
आदिवासी महिलाएं बनती है हर्बल गुलाल
राजस्थान के उदयपुर में आदिवासी महिलाएं एक खास तरीके से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। ये गुलाल न सिर्फ प्राकृतिक होते हैं बल्कि त्वचा के लिए बिलकुल सुरक्षित भी होते हैं। फूलों और पत्तियों से बने ये विभिन्न रंगों के गुलाल होली के त्योहार को और भी खास बना देते हैं।
प्राकृतिक सामग्री से तैयार गुलाल
इन हर्बल गुलाल की तैयारी में पलाश, गुलाब और गेंदे के फूलों और पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। इन नैसर्गिक सामग्रियों से तैयार होने वाले रंग न केवल आंखों के लिए आकर्षक होते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर होते हैं।
महिलाओं के लिए आय का नया साधन
उदयपुर के आस-पास के गांवों में, हर्बल गुलाल बनाने वाली महिलाओं के समूहों को इस काम से एक नया आय का स्रोत मिला है। वन विभाग द्वारा इनकी आय का एक बड़ा हिस्सा इन महिलाओं को प्रदान किया जाता है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
हर्बल गुलाल की खासियत
हर्बल गुलाल की तैयारी में किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। फूलों को सुखाकर उसमें अरारोट का पाउडर मिलाया जाता है और फिर इसे पीसकर गुलाल बनाया जाता है। इस प्रक्रिया से तैयार गुलाल होली खेलने के दौरान त्वचा को किसी भी प्रकार की हानि से बचाते हैं।