हरम में औरतों को खुश करने के लिए बनते थे अनोखे पकवान, बादशाह की पॉवर बढ़ाने के लिए होता था ये काम
मुगल साम्राज्य अपनी विलासिता, भव्य निर्माण और विशाल साम्राज्य के लिए जाना जाता है. लेकिन इसके शाही खानपान की बारीकियां भी कम रोचक नहीं हैं. डच व्यापारी मैनरिक ट्रैवल्स ऑफ फ्रे सेबेस्टियन मैनरिक द्वारा लिखित पुस्तक से हमें मुगलों के खान-पान की विस्तृत जानकारी मिलती है.
मुगल रसोई की विशेषताएं
मुगल सम्राटों की रसोई विलासिता का पर्याय थी. यहां विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते थे जिनमें विशेष रूप से विदेशी मसालों का उपयोग होता था. शाही रसोई में खाना बनाने का काम मुख्य रूप से खानसामों के जिम्मे होता था, लेकिन हकीमों की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका थी जो यह सुनिश्चित करते थे कि व्यंजनों में स्वास्थ्यवर्धक गुण हों.
शाही खाने की सामग्री
मुगल बादशाहों के खाने में चांदी का वर्क और सोने की अशर्फियों से तैयार भस्म शामिल होती थी जो उनके खाने को और भी विशेष बनाती थी. इसके अलावा, चावल और मांस व्यंजन मुख्य रूप से परोसे जाते थे. विशेष रूप से जंगली खरगोश का मांस और काले हिरण की नाभि का मांस भी शामिल होता था, जो कि उनके खाने की विशिष्टता को दर्शाता है.
स्वास्थ्य और स्वाद का महत्व
मुगल सम्राटों का खानपान सिर्फ स्वाद तक ही सीमित नहीं था बल्कि इसमें स्वास्थ्य वर्धक तत्वों का भी खासा ध्यान रखा जाता था. हकीमों द्वारा शाही खाने में ऐसे इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते थे जो सम्राटों की ताकत और कामोत्तेजना को बढ़ाने में सहायक होते थे.
मुगल बादशाहों का भोजन
मुगल बादशाह अपनी शाही भोजन शैली के लिए प्रसिद्ध थे. उनके खाने की थाली में सोने और चांदी के बर्तनों का उपयोग होता था, और खाने के दौरान विभिन्न प्रकार के संगीत और डांस का भी आयोजन किया जाता था.
ऐतिहासिक महत्व और विरासत
मुगल साम्राज्य के खान-पान की ये विशेषताएं उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं. यह न केवल उनकी विलासिता को बयान करती हैं बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे खाना उनके दैनिक जीवन और राजसी अनुष्ठानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था. आज भी मुगलाई व्यंजन भारतीय खानपान का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जिसे दुनिया भर में सराहा जाता है.
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