अनोखी तकनीक जिससे 15 दिनों में ही तैयार हो जाएगा पशुओं का चारा, नियमित आहार में शामिल करने से एक्स्ट्रा दूध देता है दुधारू पशु
आज के समय में खेती योग्य भूमि (Agricultural Land) की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। इससे पशुओं के लिए चारा (Fodder) उपजाना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) तकनीक इस समस्या का एक अद्भुत समाधान लेकर आई है।
इस तकनीक के जरिए बहुत कम जगह में भी अब पशुपालक (Animal Husbandry) साल भर अपने पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करा सकेंगे।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
हाइड्रोपोनिक्स, एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना मिट्टी के, मामूली खर्च (Low Cost) और कम समय (Less Time) में हरा चारा उगाया जा सकता है। इस विधि से न केवल चारा उगाने में आसानी होती है।
बल्कि इससे पशु दूध (Milk Production) भी अधिक देते हैं। इससे शहरी पशुपालकों के लिए चारा उपलब्ध कराने की समस्या का समाधान हो सकता है।
चारा उत्पादन की प्रक्रिया
कृषि विज्ञान केंद्र (Agricultural Science Center) के विशेषज्ञ बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में पहले एक ग्रीनहाउस (Greenhouse) तैयार किया जाता है। फिर मक्का या गेहूं के बीज (Seeds) को 24 घंटे पानी में भिगोने के बाद हाइड्रोपोनिक ट्रे (Hydroponic Tray) में डालकर चारा उगाया जाता है। इस तकनीक से 15 दिनों में ही 5 से 6 किलो तक हरा चारा तैयार हो जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स में चारा उगाने की विधि
डॉ. विपिन कुमार के अनुसार, हाइड्रोपोनिक्स में चारा उगाने के लिए बिना कटे और साफ-सुथरे बीज का उपयोग किया जाता है। बीज को पहले पानी में भिगोकर, फिर धूप में सुखाकर और अंततः जूट के बोरे (Jute Bag) में भरकर अंकुरण (Germination) के लिए रखा जाता है। मात्र 12 से 15 दिन में, उच्च गुणवत्ता का हरा चारा तैयार हो जाता है जो पशुओं के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक न केवल खेती की जमीन की कमी का समाधान प्रदान करती है। बल्कि यह पशुपालकों के लिए एक किफायती (Cost-effective) और पर्यावरण के अनुकूल (Eco-friendly) विकल्प भी प्रस्तुत करती है। इस तकनीक का उपयोग करके छोटे शहरी क्षेत्रों में भी पशुपालन को अधिक सुगम और लाभदायक बनाया जा सकता है।