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UP News: यूपी के इन 7 जिलों में मिलेगी NCR जैसी सुविधाएं, इन कांट्रैक्ट के आधार पर ली जाएगी जमीनें

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राज्य राजधानी क्षेत्र (State Capital Region - SCR) विकास की नई उम्मीदों को लेकर आकार लेने वाला है। इस विकास प्राधिकरण (Development Authority) के तहत आवासीय.....
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People of 7 districts will get NCR like facilities
   

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राज्य राजधानी क्षेत्र (State Capital Region - SCR) विकास की नई उम्मीदों को लेकर आकार लेने वाला है। इस विकास प्राधिकरण (Development Authority) के तहत आवासीय (Residential) और व्यवसायिक प्रतिष्ठान (Commercial Establishments) के साथ-साथ एक विशाल औद्योगिक गलियारा (Industrial Corridor) और पार्क (Park) विकसित किए जाएंगे।

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उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र का विकास न केवल लखनऊ और इसके आसपास के जिलों के विकास को नई गति प्रदान करेगा बल्कि यह पूरे राज्य में संतुलित और योजनाबद्ध विकास का एक मॉडल भी साबित होगा।

एससीआर के माध्यम से विकास की नई संभावनाएँ (Opportunities) खुलेंगी और उत्तर प्रदेश को एक नया विकासात्मक आयाम (Developmental Dimension) मिलेगा।

एससीआर का महत्व और उद्देश्य

एससीआर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य संतुलित विकास (Balanced Development) को बढ़ावा देना और अनियोजित विकास (Unplanned Development) से बचना है। इसके विस्तार से लखनऊ (Lucknow) समेत छह जिले - हरदोई (Hardoi), सीतापुर (Sitapur), उन्नाव (Unnao), रायबरेली (Raebareli) और बाराबंकी (Barabanki) को विकास की नई राह मिलेगी।

औद्योगिक विकास और सुविधाएँ

एससीआर में बसाए जाने वाले औद्योगिक गलियारे (Industrial Corridor) में सभी प्रकार की सुविधाएं जैसे आवासीय सुविधाएं (Residential Facilities), बेहतर कनेक्टिविटी (Connectivity), मेट्रो रेल सेवा (Metro Rail Service), इलेक्ट्रिक बस (Electric Bus) और माल परिवहन (Goods Transport) की सुविधा प्रदान की जाएगी।

जमीन अधिग्रहण और किसानों के अधिकार

एससीआर के लिए जमीन अधिग्रहण (Land Acquisition) प्रक्रिया में किसानों से समझौते के आधार पर जमीन ली जाएगी। उनके पुनर्वास (Rehabilitation) की व्यवस्था के साथ ही उचित मुआवजा (Compensation) का प्रावधान है। ताकि किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति न बने।

एससीआर का प्रशासनिक ढांचा

एससीआर के प्राधिकरण का मुखिया मुख्य कार्यपालक अधिकारी (Chief Executive Officer - CEO) होगा, जिनके देखरेख में सभी विकास कार्य संपन्न होंगे। इस विधेयक की मंजूरी के बाद इसके लिए विशेष नियमावली (Regulations) बनाई जाएगी।