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UP Railway: यूपी के इस जिलें में बिछाई जाएगी 52 किलोमीटर की नई रेल पटरीयां, 958 करोड़ की लागत से इस जिलें से होकर दौड़ेगी ट्रेनें

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के महाराजगंज जिले (Maharajganj District) के लिए खुशखबरी है। लंबे समय से रेल संपर्क (Rail Connectivity) की राह देख रहे महाराजगंजवासियों का सपना अब साकार होने जा रहा है।
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new railway track in maharajganj
   

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के महाराजगंज जिले (Maharajganj District) के लिए खुशखबरी है। लंबे समय से रेल संपर्क (Rail Connectivity) की राह देख रहे महाराजगंजवासियों का सपना अब साकार होने जा रहा है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने आनंदनगर-घुघली वाया महराजगंज (Anand Nagar-Ghughli via Maharajganj) नई रेल लाइन के लिए हरी झंडी दिखा दी है।

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आनंदनगर-घुघली वाया महराजगंज नई रेल लाइन की स्वीकृति से महाराजगंज जनपद के विकास की नई राहें खुलेंगी। यह परियोजना (Project) न केवल यात्रा में सहूलियत प्रदान करेगी, बल्कि व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों (Economic Activities) को भी बढ़ावा देगी। इस तरह के विकासात्मक कदम से नए भारत (New India) के विजन को भी बल मिलता है।

तीस साल की प्रतीक्षा का अंत

जनपद मुख्यालयवासियों की तीस वर्षों की प्रतीक्षा (Long Wait) अब खत्म होने जा रही है। 52.7 किमी लंबी इस नई रेल लाइन के लिए 958.27 करोड़ रुपये (Cost Approval) की लागत स्वीकृत की गई है।

विकास की नई संभावनाएँ

इस नई रेल लाइन (New Rail Line) के निर्माण से महराजगंज जनपद (Maharajganj District) में न केवल विकास की नई संभावनाएँ खुलेंगी, बल्कि कृषि बाहुल्य क्षेत्र (Agricultural Area) होने के कारण लघु कृषि उद्योगों (Small Agricultural Industries) को भी बढ़ावा मिलेगा।

नेपाल के साथ बढ़ेगा व्यापार

इस रेल लाइन के बनने से भारत और नेपाल (India-Nepal Trade) के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे। यह रेल लाइन विद्युतीकृत (Electrified Line) होगी, जिससे इस क्षेत्र के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल के लोगों को भी लाभ होगा।

समय और दूरी में कमी

गोंडा से पनियहवा तक की दूरी (Distance Reduction) इस नई रेल लाइन के बनने से 307 किमी से घटकर 265 किमी रह जाएगी, जिससे यात्रा के समय में कमी (Travel Time Reduction) आएगी।

विद्युतीकृत लाइन से पर्यावरण को लाभ

विद्युतीकृत रेल लाइन (Electrified Rail Line) के निर्माण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आएगी और यह ऊर्जा की बचत में भी सहायक होगी।