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लोगों को उल्लू बनाकर ऐसे रेल्वे प्लेटफॉर्म पर महंगा चिप्स और बिस्किट बेचते है वेंडर, इस ट्रिक से नही पकड़ी जाती उनकी चोरी

भारतीय रेलवे स्टेशनों पर वेंडरों द्वारा सामानों की महंगी बिक्री आम बात है। ऐसे में यात्री अक्सर खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। इस लेख में हम इसी मुद्दे को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे।

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भारतीय रेलवे स्टेशनों पर वेंडरों द्वारा सामानों की महंगी बिक्री आम बात है। ऐसे में यात्री अक्सर खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। इस लेख में हम इसी मुद्दे को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे।

वेंडरों की 'खास ट्रिक'

रेलवे प्लेटफॉर्म पर महंगे सामानों की बिक्री के पीछे वेंडरों की एक खास ट्रिक (Vendor's Trick) होती है। उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद अक्सर लोकल ब्रांड्स के होते हैं, जिनकी एमआरपी ही उच्च रखी जाती है। इससे वे वैधानिक तौर पर किसी भी तरह की अनुचित गतिविधि से बच जाते हैं।

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एमआरपी की दोहरी रणनीति

कुछ कंपनियां अपने उत्पादों की दो प्रकार की एमआरपी (Dual MRP Strategy) तय करती हैं। एक, आम बाजार के लिए और दूसरा, रेलवे प्लेटफॉर्म जैसे विशेष स्थानों के लिए। इस रणनीति से वे दोनों जगहों पर अधिकतम लाभ कमाने में सफल होती हैं।

नियम और उपभोक्ता की जागरूकता

उपभोक्ता संरक्षण नियमों (Consumer Protection Laws) के अनुसार, वेंडर यदि एमआरपी से अधिक मूल्य पर सामान बेचते हैं, तो उपभोक्ता उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। लेकिन, अक्सर उपभोक्ता इस संदर्भ में अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होते हैं।

उपभोक्ताओं की सजगता

इस समस्या का समाधान उपभोक्ताओं की जागरूकता (Consumer Awareness) में निहित है। यात्रीगण को चाहिए कि वे एमआरपी से अधिक दाम पर सामान खरीदने से बचें और आवश्यक होने पर शिकायत दर्ज कराएं।