जेल में बंद कैदियो से मिलने के लिए क्या होते है जेल के नियम, क्या जेल में भी होती है वीआईपी व्यवस्था
भारत में न्याय प्रणाली के तहत किसी भी व्यक्ति के अपराध के लिए सजा का निर्धारण अदालतें करती हैं। यह प्रक्रिया कानून के अनुसार होती है और किसी भी आरोपी को सुनवाई का पूर्ण अवसर प्रदान किया जाता है। जब अदालत आरोपी को दोषी पाती है तो उसे या तो जेल भेजा जाता है या फिर निश्चित जुर्माने के साथ छोड़ दिया जाता है।
लेकिन जब कोई व्यक्ति जेल में बंद होता है तो उससे मिलने के लिए क्या नियम होते हैं? यह जानकारी आम जनता के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है। जेल में बंद व्यक्तियों से मिलना एक विनियमित प्रक्रिया है जिसे सख्ती से पालन किया जाता है।
यह सुनिश्चित करता है कि कैदियों की सुरक्षा के साथ-साथ उनसे मिलने आने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। इसके लिए विभिन्न नियम और उपाय लागू किए गए हैं जो कि समय-समय पर अद्यतन किए जाते हैं।
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जेल में मिलने के नियम और प्रक्रिया
जेल में बंद कैदियों से मिलने की प्रक्रिया काफी सख्त होती है। जेल मैनुअल के अनुसार एक कैदी सप्ताह में दो बार तक अपने परिजनों या वकीलों से मिल सकता है जिसमें फिजिकल मीटिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों शामिल हैं। इस मुलाकात के लिए विजिटर्स को पहले से अपनी जानकारी जेल प्रशासन को देनी होती है और इसकी पुष्टि के बाद ही मुलाकात संभव होती है।
विशेष नियम और प्रोटोकॉल
राज्यों के अनुसार और केंद्रीय जेलों में मुलाकात के नियम भिन्न होते हैं। जैसे कि राजस्थान जेल नियमावली के अनुसार विचाराधीन कैदियों को हफ्ते में एक बार और दोषी पाए गए कैदियों को 15 दिन में एक बार मुलाकात की अनुमति होती है। इस दौरान कैदी से मिलने आए लोगों की जांच पड़ताल की जाती है और कई बार विशेष प्राधिकरण लेटर भी मांगा जाता है।
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तकनीकी सुविधाएँ और ऑनलाइन मुलाकात
आधुनिक युग में कई जेलों में तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल करके ऑनलाइन मुलाकात की व्यवस्था की गई है। इसमें eMulakat System के जरिए ऑनलाइन वीडियो कॉल की सुविधा शामिल है।
जिससे कैदियों के परिजन आसानी से उनसे संपर्क कर सकते हैं। यह प्रणाली केंद्रीय कारागार विभाग द्वारा विकसित की गई है और यह कैदियों तथा उनके परिजनों को बहुत सहायता प्रदान करती है।