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बूढ़ा होने के बाद शेर के साथ क्या होता है, सच्चाई आपको हिलाकर रख देगी

शेर का जीवन उसके बुढ़ापे में कैसे बदलता है, इस पर विशेषज्ञों ने कुछ अहम जानकारियां दी हैं।
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शेर को जंगल का अचूक राजा कहा जाता है जिसकी दहाड़ से पूरा जंगल थर्राता है. मगर जब यह राजा उम्र की ढलान पर पहुंचता है तो उसके जीवन में कई बदलाव आने लगते हैं. शेर के बुढ़ापे का दौर उसके जीवन के सबसे कठिन समयों में से एक होता है, जिसमें वह न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित होता है.

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शेर के बुढ़ापे की चुनौतियाँ

विशेषज्ञों का कहना है कि जब शेर बूढ़ा होता है तो उसके जोड़ों में गठिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इससे उसे चलने-फिरने में काफी परेशानी होती है और शिकार करना भी मुश्किल हो जाता है. शेर की गति और ताकत दोनों में कमी आती है, जिससे वह अपने लिए भोजन प्राप्त करने में असमर्थ हो जाता है.

कुपोषण और उसके प्रभाव

शिकार न कर पाने की वजह से बूढ़े शेर अक्सर कुपोषित हो जाते हैं उनका शरीर धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है और इस कमजोरी का सीधा असर उनकी जीवनी शक्ति पर पड़ता है. कुपोषण की अवस्था में शेर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर पड़ जाती है, जिससे वे विभिन्न रोगों का शिकार हो जाते हैं.

शेर का सामाजिक जीवन और बुढ़ापा

शेर के बुढ़ापे में उसका सामाजिक जीवन भी प्रभावित होता है. जहां युवा शेर अपने समूह के साथ मिलजुल कर रहते हैं और शिकार में हिस्सा लेते हैं, वहीं बूढ़े शेर को समूह से अलग-थलग पड़ जाना पड़ता है. इस एकाकीपन का उन पर गहरा मानसिक असर पड़ता है.

विशेषज्ञों की नजर में बुढ़ापे की समस्याएं

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि शेरों के बुढ़ापे की समस्याएं सिर्फ उनके लिए ही नहीं बल्कि संरक्षणवादियों के लिए भी एक चुनौती हैं. इस उम्र में शेरों को उचित देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता होती है.

मानव-वन्यजीव संघर्ष और बुढ़ापे का असर 

बुढ़ापे में शेर के लिए जंगल में जीवित रहना कठिन हो जाता है, जिससे वे कभी-कभी मानव बस्तियों के नजदीक आ जाते हैं. इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो कि दोनों के लिए ही हानिकारक है.