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सड़क पर लगे रिफलेक्‍टर को किस चीज से मिलती है बिजली, होशियार लोग भी नही जानते ये मजेदार बात

राष्ट्रीय हाईवे पर यात्रा करते समय अक्सर विभिन्न प्रकार के रिफलेक्टर्स देखने को मिलते हैं.
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सड़क पर लगे रिफलेक्‍टर को किस चीज से मिलती है बिजली
   
reflecters get electricity: राष्ट्रीय हाईवे पर यात्रा करते समय अक्सर विभिन्न प्रकार के रिफलेक्टर्स देखने को मिलते हैं. ये रिफलेक्टर्स रात के समय में सड़क पर वाहनों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन रिफलेक्टर्स की उपस्थिति सड़कों को और अधिक सुरक्षित बनाती है खासकर अंधेरे में जब दूर की चीजे साफ दिखाई देती है.

रिफलेक्टर्स की प्रकाश व्यवस्था

अक्सर यात्री इस बात को लेकर उत्सुक रहते हैं कि रिफलेक्टर्स में प्रकाश कहाँ से आता है (Light Source)? ये रिफलेक्टर्स वाहनों की रोशनी को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे यह चमकने लगते हैं. इस प्रक्रिया को फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट कहते हैं, और इसमें कोई बाहरी ऊर्जा स्रोत नहीं लगता है.

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विभिन्न प्रकार के रिफलेक्टर्स

हाईवे और फ्लाईओवर पर दो प्रकार के रिफलेक्टर्स पाए जाते हैं: एक्टिव (Active Reflectors) और पेसिव (Passive Reflectors). एक्टिव रिफलेक्टर्स में एलईडी लाइट्स होती हैं, जो सौर पैनल (Solar Energy) से चार्ज होकर रात में अपने आप जलती हैं. पेसिव रिफलेक्टर्स में रेडियम की पट्टियाँ होती हैं, जो वाहनों की लाइट से चमकने लगती हैं.

एक्टिव रिफलेक्टर्स का काम करने का तरीका

एक्टिव रिफलेक्टर्स की खासियत यह है कि ये बिजली के उपयोग के बिना काम करते हैं (Energy Efficient). इनमें लगे हुए सौलर पैनल दिन भर में सूरज की रोशनी से चार्ज होते हैं और रात में खुद-ब-खुद जल उठते हैं. इस प्रक्रिया के लिए किसी बाहरी स्विच की आवश्यकता नहीं होती है.

पेसिव रिफलेक्टर्स का अंधेरे में काम करना

पेसिव रिफलेक्टर्स अपने आसपास की रोशनी को प्रतिबिंबित करते हैं और ये विशेष रूप से उन स्थितियों में उपयोगी होते हैं जब कोई बाहरी रोशनी नहीं होती (Light Reflection). इनका उपयोग सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करता है, क्योंकि ये वाहन चालकों को रात में भी सड़क की सीमाओं को स्पष्ट दिखाते हैं.

रिफलेक्टर्स की ऑटोमेटिक ऑन-ऑफ प्रक्रिया

रिफलेक्टर्स में लगे हुए सेंसर (Sensors and Automation) अंधेरा होने पर खुद ब खुद जल जाते हैं और उजाला होने पर बंद हो जाते हैं. यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटिक होती है और इसमें मानवीय हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं होती. यह तकनीकी उन्नति सड़क सुरक्षा को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है.