बीड़ी और सिगरेट में से किसको पीने से होता है सबसे ज्यादा नुकसान, सच्चाई जानकर तो आपको भी लग सकता है झटका
तंबाकू का सेवन चाहे वह बीड़ी के रूप में हो या सिगरेट के रूप में दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं। भारत में धूम्रपान की समस्या न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यापक है। यह बुरी आदत स्वास्थ्य संबंधित कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
बीड़ी और सिगरेट से नुकसान
बीड़ी और सिगरेट दोनों में निकोटीन और अन्य हानिकारक तत्व मौजूद होते हैं, जो कैंसर और अन्य घातक बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं। हालांकि बीड़ी के धुएं में सिगरेट की तुलना में 3 से 5 गुना ज्यादा निकोटीन होता है, जिससे यह और भी खतरनाक हो जाता है। बीड़ी पीने से मुंह, फेफड़े, पेट और ग्रासनली के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बीड़ी का चलन
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बीड़ी का चलन विशेष रूप से चिंताजनक है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया 2016-17 के अनुसार भारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लगभग 267 मिलियन वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें बीड़ी का उपयोग प्रमुख है।
सार्वजनिक जागरूकता और स्वास्थ्य सुरक्षा
बीड़ी और सिगरेट के खतरों को कम करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपायों का प्रसार अत्यंत आवश्यक है। सरकार और विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा धूम्रपान के खतरों के प्रति जनता को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इसके अलावा तंबाकू उत्पादों पर स्पष्ट चेतावनी और उनके सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है।
तंबाकू नियंत्रण के उपाय
तंबाकू नियंत्रण के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना, तंबाकू विज्ञापनों पर प्रतिबंध और धूम्रपान रहित स्थानों की स्थापना। इसके अलावा तंबाकू छोड़ने में मदद करने वाले कार्यक्रमों और नीतियों को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है।
समाज में जागरूकता फैलाना
समाज में तंबाकू के सेवन के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा और संचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्कूलों और कॉलेजों में धूम्रपान छोड़ो जैसे कार्यक्रमों को शामिल करने से युवाओं को इस ग़ंदी आदत से दूर रखने में मदद मिल सकती है।
