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जमीन की खुदाई करते वक्त जमीन से आने लगी पत्थर टूटने की आवाज, जब ध्यान से देखा तो 1300 साल पुरानी सच्चाई आई सामने

तेलंगाना (Telangana) के नलगोंडा जिले (Nalgonda District) में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पुरातत्विक खुदाई (Archaeological Excavation) के दौरान एक अद्भुत खोज की है।
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तेलंगाना (Telangana) के नलगोंडा जिले (Nalgonda District) में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पुरातत्विक खुदाई (Archaeological Excavation) के दौरान एक अद्भुत खोज की है। कृष्णा नदी (Krishna River) के किनारे स्थित मुदिमानिक्यम गांव (Mudimanikyam Village) में यह खोज हुई है, जिसमें बादामी चालुक्य काल (Badami Chalukya Era) के दो मंदिरों के साथ एक दुर्लभ शिलालेख (Rare Inscription) पाया गया है।

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मंदिरों और शिलालेख की विशेषताएं

इन मंदिरों की उम्र 1300 साल से अधिक और शिलालेख की उम्र 1200 साल के आसपास अनुमानित की गई है। 'गंडालोरंरू' (Gandaloranru) शब्द वाले इस शिलालेख को कन्नड़ भाषा (Kannada Language) के प्रारंभिक अक्षर 'गंडा' से जोड़ा गया है, जिसका अर्थ 'नायक' (Hero) या 'वीर' (Warrior) होता है।

वास्तुशिल्प की दुर्लभता

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) के निदेशक डॉ. मुनिरत्नम रेड्डी ने खुलासा किया कि इन मंदिरों में कदंब नागर शैली (Kadamba Nagar Style) का प्रयोग हुआ है जो तेलंगाना में बेहद दुर्लभ है। इस खोज से यह स्पष्ट होता है कि इन मंदिरों की स्थापत्य शैली अद्वितीय और भव्य थी।

मंदिरों की विशेषताएं और धार्मिक महत्व

इन खोजी गए मंदिरों में से एक में शिवलिंग (Shivling) और दूसरे में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की मूर्ति मिली है। यह बताता है कि उस समय ये मंदिर कितने दिव्य और भव्य रहे होंगे और यहां किस पैमाने पर बड़े धार्मिक अनुष्ठान (Religious Rituals) होते रहे होंगे।

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र

मुदिमानिक्यम गांव न केवल इस खोज के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह एक भव्य राम मंदिर (Grand Ram Temple) का भी घर है, जो दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। तांगेडा, नागार्जुनकोंडा और वारंगल (Warangal) जैसे स्थानों से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।