सर्दी में रेल की पटरियों पर जानबूझकर क्यों किए जाते है विस्फोट, सभी अधिकारियों को होती है इसकी जानकारी
भारतीय रेलवे जो दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क्स में से एक है। भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की सुरक्षा के लिए हमेशा नई-नई तकनीकों और विधियों की खोज में रहता है। इसी क्रम में रेलवे ट्रैक पर किए जाने वाले विस्फोट जो अधिकांश लोगों के लिए अजीब और असामान्य प्रतीत होते हैं दरअसल ये विस्फोट एक सुरक्षा उपाय हैं।
भारतीय रेलवे की यह प्रणाली जो डेटोनेटर के जरिए विस्फोट करती है रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह तकनीक न केवल लोको पायलट को आवश्यक सूचना प्रदान करती है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती है। इस प्रकार रेलवे द्वारा किए गए ये विस्फोट वास्तव में एक सुरक्षा उपाय हैं जो रेल यात्रा को और भी सुरक्षित बनाते हैं।
क्यों होता है ये विस्फोट
आमतौर पर जब हम "ब्लास्ट" शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में विनाशकारी दृश्यों की कल्पना होती है। परंतु रेलवे द्वारा किए जाने वाले विस्फोट इससे बिल्कुल विपरीत हैं। ये विस्फोट मुख्यतः डेटोनेटर के जरिए किए जाते हैं जो एक प्रकार का विस्फोटक होता है।
लेकिन इसका उपयोग केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इससे उत्पन्न आवाज लोको पायलट के लिए एक संकेत के रूप में काम करती है।
सुरक्षा के लिए किया जाता है ये विस्फोट
डेटोनेटर का उपयोग मुख्य रूप से लोको पायलट को अग्रिम सूचना देने के लिए किया जाता है। यदि ट्रैक पर कोई समस्या होती है या कोई स्टेशन नजदीक आ रहा होता है तो इस विस्फोट के जरिए पायलट को सचेत किया जाता है। इस प्रकार यह विधि रेलवे द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनाई जाती है।
कब और क्यों होता है इस्तेमाल
विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में और कोहरे के दौरान जब दृश्यता कम होती है डेटोनेटर का उपयोग अधिक होता है। इससे लोको पायलट को नजदीकी स्टेशनों की जानकारी मिलती है और वे समय रहते उचित कार्रवाई कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त ट्रैक पर किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या होने पर भी इस विधि का उपयोग किया जाता है ताकि ट्रेन को समय पर रोका जा सके और दुर्घटना से बचा जा सके।