रात की बजाय सिर्फ दिन में ही क्यों किए जाते है पोस्टमार्टम, जाने इसके पीछे की असली वजह
जब कभी असामान्य परिस्थितियों में किसी व्यक्ति की मौत होती है तो पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के माध्यम से मौत के असली कारणों का पता लगाया जाता है। यह प्रक्रिया जिसे शव परीक्षण भी कहा जाता है वैज्ञानिक और नैतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होती है।
पोस्टमार्टम मृत्यु के कारणों की जांच करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो वैज्ञानिक कानूनी और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर संचालित होती है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज करना और मृतक के परिजनों को न्याय दिलाना होता है।
किसलिए होता है पोस्टमार्टम?
पोस्टमार्टम मृत व्यक्ति के शरीर का एक गहन अध्ययन है जिसमें शरीर के आंतरिक और बाहरी भागों की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया के द्वारा मृत्यु के सही कारणों का पता चलता है और यह जानकारी आगे की कानूनी और मेडिकल जांच में सहायक होती है।
पोस्टमार्टम की अनुमति
पोस्टमार्टम करने से पहले मृतक के परिजनों की सहमति अनिवार्य होती है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे कि हत्या या आत्महत्या के मामले में पुलिस भी पोस्टमार्टम की अनुमति दे सकती है।
दिन में ही पोस्टमार्टम क्यों?
पोस्टमार्टम की प्रक्रिया आमतौर पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही की जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि प्राकृतिक प्रकाश में चोट के निशान रंग और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों की पहचान अधिक सटीक होती है। कृत्रिम प्रकाश में ये निशान भ्रामक हो सकते हैं जिससे पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सटीकता पर प्रश्न उठ सकते हैं।
वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यताएँ
पोस्टमार्टम न केवल वैज्ञानिक बल्कि धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप भी होता है। कई धर्मों में रात्रि के समय में अंतिम संस्कार या शव संबंधी क्रियाएँ नहीं की जाती हैं इसलिए पोस्टमार्टम भी दिन के समय में ही किया जाता है।