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शराब के लिए खंभा,अद्धा और पौआ शब्द का क्यों होता है इस्तेमाल, जाने कितनी होती है शराब की मात्रा

भारतीय संस्कृति में शराब का सेवन एक विवादास्पद विषय रहा है। फिर भी यहां शराब की खरीदारी और सेवन का अपना एक अनोखा चलन है।
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भारतीय संस्कृति में शराब का सेवन एक विवादास्पद विषय रहा है। फिर भी यहां शराब की खरीदारी और सेवन का अपना एक अनोखा चलन है। शराब की खरीद पर चर्चा करते समय 'अद्धा', 'पौआ' और 'खंभा' जैसे शब्द अक्सर सुनाई देते हैं। लेकिन क्या कारण है कि लीटर के सामान्य मापदंड की जगह ये विशेष नामों का प्रचलन है? आइए इसके पीछे के कारणों को जानने का प्रयास करें।

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शब्दों की उत्पत्ति और उनका अर्थ

सबसे पहले, जानिए कि 'पेग' शब्द की उत्पत्ति डेनमार्क के 'पाइगल' से हुई थी, जिसका इस्तेमाल शराब की मात्रा को मापने के लिए किया जाता था। वहीं, भारत में 'खंभा', 'अद्धा' और 'पौआ' शब्दों का इस्तेमाल विशिष्ट मात्रा को संदर्भित करने के लिए होता है। इन शब्दों की उत्पत्ति विशेष तरीके से हुई, जो कि क्वांटिटी के बजाय पारंपरिक और आम बोलचाल की भाषा से आई है।

नाम के पीछे का इतिहास 

यह आश्चर्यजनक है कि 'पौआ' के लिए 250ml का सामान्य मानक होने के बावजूद, जब आप इसे खरीदते हैं तो केवल 180ml ही मिलता है। इस तरह के नामकरण से यह स्पष्ट होता है कि यह सिर्फ क्वांटिटी का मामला नहीं है। इसकी उत्पत्ति और इस्तेमाल आम बोलचाल और स्थानीय प्रचलन का परिणाम है, जो धीरे-धीरे पूरे देश में लोकप्रिय हो गया।

भारतीयों की पसंदीदा शराब

आंकड़ों के अनुसार, भारत में Scotch Whisky सबसे ज्यादा पी जाने वाली शराब है। पिछले वर्षों में Scotch Whisky की खपत में भारी वृद्धि देखी गई है, जो भारतीय शराब बाजार की बढ़ती मांग और पसंद को दर्शाता है।