कैप्सूल बनाने वाली कंपनियां दो रंग के क्यों बनाती है, जाने इसके पीछे की खास बात
क्या आपने कभी सोचा है कि दवा के कैप्सूल में सिर्फ दो रंग क्यों होते हैं? ये भी एक कलर का हो सकता है। आप इसकी वजह जानकर हैरान रह जाएंगे। दसअसल कैप्सूल में दो रंग होने का एक खास कारण होता है। तो चलिए जानते है की कैप्सूल में दो रंग होने की वजह क्या है?
कैप्सूल केवल दो रंग क्यों होते हैं?
कैप्सूल में दो भाग होते हैं और उन दोनों के रंग अलग होते हैं। इसका कारण यह है कि कैप्सूल का एक भाग कैप और दूसरा कंटेनर होता है। कैप्सूल कंटेनर में दवा डाल दी जाती है और कैप से ढक दी जाती है। जब आप कैप्सूल को खोलकर देखेंगे तो आप देखेंगे कि कैप्सूल के एक भाग में दवा डाली जाती है और दूसरा खाली रखा जाता है।
कैप्सूल में दो रंग होने की वजह
कम्पनी के कर्मचारियों को कैप्सूल को असेंबल करते समय कोई गलतफहमी न हो इसलिए कैप्सूल के कंटेनर और कैप का रंग अलग-अलग होता है। वो कहीं ये ना भूल जाएं कि कैप्सूल का कौन सा भाग कंटेनर है और कौन कैप है। गौरतलब है कि फार्मास्युटिकल कंपनियों को कैप्सूल के कंटेनर और कैप का रंग अलग रखने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
किस चीज से बनता है कैप्सूल?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सैलूलोज और जिलेटिन दोनों से दवा के कैप्सूल को बनाया जा सकता हैं। हालांकि जिलेटिन से कैप्सूल बनाने पर कुछ देशों में प्रतिबंध है। भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय आदेश जारी कर चुका है कि कैप्सूल बनाने में जिलेटिन की जगह सैलूलोज से बनाया जाए।