home page

आसमान की ऊंचाइयों में हवाई जहाज का फ्यूल क्यों गिराते है पायलट, इस मजबूरी के चलते करते है ऐसा काम

14 अक्टूबर 2024 को मुंबई से न्यूयॉर्क के लिए नॉन-स्टॉप उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के बोइंग 777 विमान को टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद बम से उड़ाने की धमकी मिली.
 | 
Fuel Dumping
   

Fuel Dumping: 14 अक्टूबर 2024 को मुंबई से न्यूयॉर्क के लिए नॉन-स्टॉप उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के बोइंग 777 विमान को टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद बम से उड़ाने की धमकी मिली. यह खबर मिलते ही विमान के क्रू ने तत्काल पायलट से संपर्क साधा और विमान को दिल्ली की ओर मोड़ दिया गया ताकि जल्दी से जल्दी लैंडिंग की जा सके.

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

ईंधन डंप करने की प्रक्रिया

विमान में 130 टन ईंधन लदा हुआ था जिसे वापस उतरने के लिए उतना ही वजन कम करना आवश्यक था. इस स्थिति में पायलट ने ईंधन डंपिंग का निर्णय लिया जिससे विमान का वजन कम हो सके और वह सुरक्षित रूप से लैंड कर सके. इस प्रक्रिया के दौरान विंग्स से ईंधन छोड़ा गया जो कि विमानन की दुनिया में एक सामान्य काम है जब लैंडिंग वेट क्षमता से अधिक हो.

विमानन सुरक्षा और लैंडिंग की तैयारी

विमान की लैंडिंग वेट क्षमता 2.50 लाख किलोग्राम थी जो कि टेकऑफ के समय से करीब एक लाख किलोग्राम अधिक थी. इसलिए ईंधन डंपिंग जरूरी थी. यह प्रक्रिया विमान और उसमें सवार यात्रियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक वजन के साथ लैंडिंग गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है.

ईंधन डंपिंग के पर्यावरणीय असर

जबकि ईंधन डंपिंग एक आपातकालीन कदम होता है इसका पर्यावरण पर भी असर पड़ता है. विमान से छोड़े गए ईंधन का अधिकांश हिस्सा हवा में भाप बन कर उड़ जाता है लेकिन यह पर्यावरणीय चिंताओं पैदा होती है. आधुनिक विमानन प्रौद्योगिकियां और नीतियां इस प्रक्रिया को जितना संभव हो सके कम हानिकारक बनाने की कोशिश कर रही हैं.