हम दुखी होने पर सैड सॉन्ग ही क्यों सुनना पसंद करते है, जाने क्या कहती है रिसर्च
भारत अपनी विविध सांस्कृतिक परंपराओं और गहरी धार्मिक आस्थाओं के लिए विख्यात है। आज के समय में जब तकनीकी प्रगति ने हमारे जीवन के हर पहलू को छू लिया है वहीं आईआईटी मंडी ने संगीत के प्रभाव को समझने के लिए एक अनूठा अध्ययन किया है।
इस अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि संगीत किस प्रकार हमारे दिमाग और भावनाओं पर अपना प्रभाव डालता है। चाहे हम खुश हों या दुखी संगीत हमेशा हमारे साथ होता है हमें सांत्वना देता है हमारी भावनाओं को समझता है और हमें एक नया परिप्रेक्ष्य देने में मदद करता है।
आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन
इस अध्ययन में आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने 20 लोगों का चयन किया जिन्हें किसी भी प्रकार की संगीतमय शिक्षा प्राप्त नहीं थी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि उनके प्रतिक्रियाएँ अप्रभावित और स्वाभाविक हों। इस दौरान इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी की मदद से उनके दिमाग की गतिविधियों को मापा गया।
क्या निकल कर आया रिजल्ट
अध्ययन में शामिल लोगों को तीन अलग-अलग प्रकार के गाने सुनाए गए जिनमें एक भारतीय शास्त्रीय राग भी शामिल था। जब इन प्रतिभागियों से अपने दुखद अनुभवों को याद करने को कहा गया तो उनके दिमाग में गामा किरणों की गतिविधि में वृद्धि देखी गई।
वहीं जब उन्हें सैड सॉन्ग सुनाए गए तो अल्फा किरणों की गतिविधि में वृद्धि दर्ज की गई। इससे यह पता चलता है कि संगीत हमारे दिमाग पर किस प्रकार का प्रभाव डालता है।
संगीत का इंसान मन पर प्रभाव
यह अध्ययन यह साबित करता है कि संगीत खासकर जब हम उदास या परेशान होते हैं हमारे दिमाग के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है। यह हमें उन भावनाओं से जुड़ने में मदद करता है जिन्हें हम अन्यथा व्यक्त नहीं कर पाते। यही कारण है कि जब हम उदास होते हैं तो हमारा मन सैड सॉन्ग्स सुनने का करता है।
संगीत के मनोवैज्ञानिक प्रभावों
आईआईटी मंडी द्वारा किया गया यह अध्ययन न केवल संगीत के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को समझने में मदद करता है बल्कि यह भी बताता है कि कैसे संगीत हमारे भावनात्मक संतुलन और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस शोध से हमें यह समझ में आता है कि क्यों संगीत को एक उपचारात्मक माध्यम के रूप में देखा जा सकता है।