पपीते को अखबार में लपेटकर ही क्यों रखा जाता है, जाने क्या है इसके पीछे का खास कारण
हम सभी नियमित रूप से ताजा सब्जियां और फल खरीदने के लिए बाजार का रुख करते हैं। बाजार में फल और सब्जियां बड़ी सावधानी से संभाल कर रखी जाती हैं ताकि वे ताजा बने रहें और उन्हें उचित मूल्य पर बेचा जा सके। विशेष तौर पर पपीते को अखबार में लपेटकर रखने की प्रथा बहुत ही आम है।
लेकिन इसके पीछे के कारणों को जानना बेहद रोचक है। पपीतों को अखबार में लपेटकर बेचने का तरीका न केवल प्राचीन बल्कि वैज्ञानिक आधारित भी है। जो फलों की ताजगी और स्वाद को बनाए रखने में मदद करता है।
पपीते में एथिलीन गैस का रहस्य
पपीता जैसे कई अन्य फल, एथिलीन गैस का उत्सर्जन करता है। यह एक प्राकृतिक गैस है जो फलों के पकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एथिलीन गैस एंजाइमों को सक्रिय करती है, जो स्टार्च को शुगर में परिवर्तित करते हैं। फल को नरम बनाते हैं और इसके स्वाद को बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा पपीता खाने में और अधिक स्वादिष्ट बन जाता है।
अखबार में लपेटने का कारण
जब पपीते को अखबार में लपेटा जाता है, तो इससे निकलने वाली एथिलीन गैस एक सीमित स्थान में फंस जाती है। यह गैस फल के आसपास एक संकेन्द्रित माहौल बना देती है। जिससे पपीते के पकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इस वजह से बाजार में पपीते को अधिक समय तक ताजा और पका हुआ बनाए रखा जा सकता है।
कागज और प्लास्टिक मे कौन बढ़िया
प्लास्टिक के मुकाबले कागज का उपयोग बेहतर होता है क्योंकि कागज वायु आदान-प्रदान की अनुमति देता है और अतिरिक्त नमी को बाहर निकालने में सहायक होता है। प्लास्टिक इसके विपरीत नमी को फंसाए रखता है। जिससे फल की बनावट चिपचिपी और फफूंदी लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए पपीते को अखबार में लपेटना ज्यादा उपयुक्त समझा जाता है।
पकने की गति और समय
पपीते की पकने की प्रक्रिया कितनी तेज होगी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शुरुआत में पपीता कितना कच्चा है। अखबार में लपेटे जाने के बाद पपीता आमतौर पर दो से तीन दिनों के भीतर पूरी तरह से पक जाता है। इस प्रक्रिया से पपीते को बाजार में उचित समय पर बेचने की अनुमति मिलती है। जिससे विक्रेता और खरीदने वाले दोनों को लाभ होता है।