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भारतीय विमानों पर क्यों लिखा होता है VT, जाने क्या होता है इसका मतलब

भारत का विमान उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। आज भारतीय विमान बाजार दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में से एक है। भारत अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आवाजाही में दुनिया में चौथे स्थान पर है, वहीं घरेलू...
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meaning of VT on Airlines
   

भारत का विमान उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। आज भारतीय विमान बाजार दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में से एक है। भारत अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आवाजाही में दुनिया में चौथे स्थान पर है, वहीं घरेलू यातायात में तीसरा स्थान पर है। यह क्षेत्र भी लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव और हवाई अड्डों की संख्या में वृद्धि से लगातार बढ़ रहा है।

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मोदी सरकार की उड़ान योजना के तहत पूरी तरह से शुरू होने के बाद इसमें और भी इजाफा होना तय है। आपमें से भी कई ने हवाई यात्रा की होगी। आपने कभी हवाई अड्डे पर खड़े विमानों को देखने की कोशिश की है? क्या आपने देखा है कि उन पर कई तरह का कोड लिखा है?

प्राय: उनके पिछले भाग पर एक विशिष्ट कोड लिखा होता है। जी हाँ यह विमानों के पिछले भाग पर लिखे कोड की बात है, जिसकी शुरुआत VT से होती है। क्या आप जानते हैं कि ये VT है, कब और कैसे शुरू हुआ?

कैसे हुआ VT का जन्‍म?

दुनिया भर में हवाई सेवा की शुरुआत के बावजूद बहुत समय तक विदेशों में हवाई यात्रा करना सपना ही था। जब विमानन तकनीक विकसित हुई दो देशों के बीच हवाई यात्रा शुरू हुई। इसी समय हवाई जहाजों की अंतर्राष्ट्रीय पहचान की भी आवश्यकता महसूस की गई।

रजिस्टर विमानों को हर देश में एक अलग कॉल साइन (Call Sign) यानी विशेष कोड दिया जाता है, जिससे विमान को पहचाना जा सकता है कि किस देश का है। उदाहरण के लिए यूएस कॉल का वर्णन N है, जबकि रूस का वर्णन RA है।

इसी तरह नवंबर 1927 में भारत को भी VT कॉल साइन इंटरनेशनल रेडियोटेलिग्राफ ऑफ वॉशिंगटन में मिल गया था। उस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था। इसलिए अंग्रेजों ने VT को चुना जिसका तत्कालीन अर्थ था विक्टोरियन या वायसराय टेरिटरी।

तब भारत को इंटरनेशनल टेलिकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) से तीन विकल्पों में से किसी एक का चुनाव करना पड़ा। भारत में ATA-AWZ, VTA-VWZ और 8TA-8YZ के पहले या पहले दो अक्षरों का विकल्प था। तब अंग्रेजों ने VT या VTA-VWZ चुना।

VT को लेकर विवाद और सरकार का रुख

VT कॉल साइन पर भी अक्सर बहस होती है। यह कई बार गुलामी का संकेत बताया जाता है और इसे बदलने की मांग भी उठती रही है। इसे लेकर दिसंबर 2021 में संसद में भी प्रश्न उठाया गया था। बाद में सरकार ने कहा कि VT वायराय क्षेत्र नहीं है।

20 दिसंबर 2021 को सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पूछा कि क्या सरकार ने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा विमानों को 'VT' कोड दिया गया था। तब इसका मतलब था 'वायसराय क्षेत्र'।

तत्कालीन उड्डयन राज्य मंत्री विजय कुमार सिंह ने राज्यसभा में उनके सवाल के लिखित जवाब में कहा कि VT का मतलब 'वायसराय टेरिटरी' नहीं है। वीके सिंह ने बताया कि VT अंतरराष्ट्रीय रेडियोटेलीग्राफ कन्वेंशन ऑफ वॉशिंगटन ने भारत को कॉल साइन दे दिया था।

जो 25 नवंबर 1927 को हस्ताक्षरित हुआ था। उन्होंने कहा कि इसका मतलब "वायसराय टेरिटरी" नहीं है और भारत से जुड़े अन्य नाम (जैसे I, IN, B, BH, BM, या HT) पहले से ही दूसरे देश को दिए गए हैं।

VT कॉल साइन बदलने में क्‍या हैं चुनौतियां?

VT कॉल साइन को गुलामी का संकेत बताकर कई बार इसे बदलने की मांग की गई है। इसके बदलने के पीछे हालांकि कई चुनौतियां भी हैं। पहले भारत से संबंधित कोई भी कॉल साइन जैसे I, IN, या BH, पहले से ही दूसरे देश को दे दिया गया है।

दूसरा अगर इसे बदल भी दिया जाए तो विमानन कंपनियों को सभी विमानों को ग्राउंडेड रखना होगा। जिससे उनका परिचालन प्रभावित हो सकता है और नुकसान भी हो सकता है। और देश की उड्डयन उद्योग को भी उतना ही नुकसान होगा।