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द्वारका एक्सप्रेस-वे का ये हिस्सा खुलने से 5 राज्यों के लोगो की हुई मौज, 1 घंटे का सफर अब होगा 20 मिनट में पूरा

प्रधानमंत्री के सपनों का प्रोजेक्ट द्वारका एक्सप्रेस-वे आधुनिक इंजीनियरिंग की एक बेजोड़ मिसाल है। इसकी विशेषता इसका एकल स्तंभ पर आधारित आठ लेन का एक्सप्रेस-वे है जो भारत में अपनी तरह का पहला है।
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dwarka expressway route
   

प्रधानमंत्री के सपनों का प्रोजेक्ट द्वारका एक्सप्रेस-वे आधुनिक इंजीनियरिंग की एक बेजोड़ मिसाल है। इसकी विशेषता इसका एकल स्तंभ पर आधारित आठ लेन का एक्सप्रेस-वे है जो भारत में अपनी तरह का पहला है। इस प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

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द्वारका एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ

गुरुग्राम के हिस्से में द्वारका एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ हाल ही में 11 मार्च को हुआ। इस परियोजना के पूरा होने से दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक का दबाव 40 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है जिससे प्रदूषण का स्तर भी काफी हद तक घटेगा।

विकास में आएगी तेजी

द्वारका एक्सप्रेस-वे के निर्माण से न केवल दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर बल्कि कई अन्य सड़कों पर भी ट्रैफिक का दबाव कम होगा। इससे गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों के विकास में काफी तेजी आएगी।

पांच राज्यों के लोगों को मिलेगा लाभ

इस एक्सप्रेस-वे के चालू होने से राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों को समय और ईंधन की बचत होगी। इससे माल की समय पर डिलीवरी हो सकेगी और विकास की गति और भी तेज होगी।

समय की बचत

मानेसर से द्वारका अब मात्र 20 मिनट में पहुँचा जा सकेगा जो पहले एक घंटे का समय लेता था। इसी तरह मानेसर से दिल्ली एयरपोर्ट सवा घंटे की जगह अब केवल 25 मिनट में पहुँचा जा सकेगा।

प्रोजेक्ट की मुख्य विशेषताएं

द्वारका एक्सप्रेस-वे 29 किलोमीटर लंबा है जिस पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। इसका 23 किलोमीटर भाग एलिवेटेड है और 3.6 किलोमीटर भूमिगत। इस परियोजना से फरीदाबाद और दिल्ली को भी सीधा लाभ होगा।

विकास की नई दिशा

द्वारका एक्सप्रेस-वे परियोजना न केवल ट्रैफिक दबाव को कम करने में मदद करेगी बल्कि यह विकास की नई दिशा भी प्रदान करेगी। इससे संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक विकास में तेजी आएगी और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

द्वारका एक्सप्रेस-वे प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में न केवल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा बल्कि यह विकास के नए आयाम भी खोलेगा।