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रेल्वे में लोको पायलट की नौकरी करने वाली महिलाओं को रोज आती है शर्म, इस कारण अधिकारियों के सामने बनता है मजाक

भारतीय रेलवे में नौकरी प्राप्ति हमेशा से एक सम्मानजनक और आकांक्षी करियर मानी जाती है। खासकर लोको-पायलट की नौकरी को तो बेहद ही विशेष माना जाता है।
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रेल्वे में लोको पायलट की नौकरी करने वाली महिलाओं को रोज आती है शर्म
   

भारतीय रेलवे में नौकरी मिलना हमेशा से एक सम्मानजनक और आकांक्षी करियर मानी जाती है। खासकर लोको-पायलट की नौकरी को तो बेहद ही विशेष माना जाता है। हालांकि इस क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना कर रही हैं जिनमें से कई समस्याएं तो ऐसी हैं जिन पर अभी तक रेल्वे विभाग का कोई अहम कदम नहीं उठाया गया है।

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महिला लोको-पायलट्स की बढ़ती संख्या 

रेलवे में महिला लोको-पायलट की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है लेकिन साथ ही उन्हें कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो कि उनके कार्यक्षेत्र में सुधार की मांग करती हैं। इनमें से एक प्रमुख समस्या है व्यक्तिगत सुविधाओं की कमी। खासकर जब बात आती है स्वच्छता और वॉशरूम की सुविधाओं की, तो महिला लोको-पायलट्स को कई बार अपने पुरुष सहकर्मियों से इजाजत लेनी पड़ती है जो कि न केवल आम बात है बल्कि उनकी प्राइवेसी का भी हनन होता है।

स्थिति की गंभीरता और असर 

इस प्रक्रिया में वॉशरूम के उपयोग के लिए अनुमति मांगने की प्रक्रिया का मतलब होता है कि महिला के प्राइवेट क्षणों की जानकारी पुरुष लोको-पायलट से होते हुए स्टेशन मास्टर और अन्य अधिकारियों तक पहुँचती है। इस तरह की स्थिति महिलाओं को अपमानित महसूस करवाती है और यह उनके मानवाधिकारों का भी हनन करता है।

सामाजिक दृष्टिकोण और मानसिकता का असर 

इस तरह के मुद्दे न सिर्फ संस्थागत बल्कि सामाजिक स्तर पर भी महिला लोको-पायलट्स की असहजता को बढ़ाते हैं। छोटे स्टेशनों पर जहाँ सुरक्षा और निजता की व्यवस्था कमजोर होती है वहाँ महिलाएं अधिक असहज महसूस करती हैं। जब वे बाहर निकलती हैं तो उन्हें अलग नजरों से देखा जाता है जिससे उन्हें गहरी मानसिक और भावनात्मक पीड़ा होती है।