तालाब की जगह मखाना की खेती से कर सकते है बढ़िया कमाई, सरकार दे रही 50 प्रतिशत की सब्सिडी
Makhana Farming: भारतीय किसानों के बीच मखाने की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है. पारंपरिक फसलों के मुकाबले यह खेती कई गुना अधिक मुनाफा दे रही है जिससे यह कृषि क्षेत्र में एक आकर्षक ऑप्शन बनती जा रही है. मखाना जिसे वैज्ञानिक रूप से ईयूरीएल प्यूरालिस के रूप में जाना जाता है ज्यादातर जल जमाव वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है लेकिन नई तकनीकी के साथ अब इसे सामान्य खेतों में भी उगाया जा सकता है.
खेती के प्रकार
मखाने की खेती की दो प्रमुख प्रणालियां (Makhana cultivation systems) हैं - जलकर प्रणाली और खेत प्रणाली. जलकर प्रणाली तालाबों और अन्य जल जमाव वाले क्षेत्रों में की जाती है, जबकि खेत प्रणाली में खेतों को समतल बनाकर और उसमें पानी भरकर मखाना उगाया जाता है. इस दूसरी प्रणाली को अधिक फायदेमंद (more profitable) माना जाता है क्योंकि इससे फसल की उत्पादकता में इजाफा होता है.
खेती की आधुनिक तकनीकें और लाभ
बिहार, जो कि मखाना उत्पादन (Makhana production) में अग्रणी है, ने समतल खेतों में खेती के लिए नई तकनीकें अपनाई हैं. यहाँ कृषि वैज्ञानिक किसानों को उन्नत तरीके से मखाना उगाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं जिससे उन्हें बेहतर उपज (better yield) मिल सके. इस प्रकार की खेती से किसानों को न केवल अधिक उत्पादन मिलता है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है.
इतने मिलेगी सरकारी सब्सिडी
सरकार ने मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी (government subsidies) की पेशकश की है. इसमें 50% तक की सब्सिडी शामिल है, जो कि किसानों को इस खेती की ओर आकर्षित करती है और उन्हें वित्तीय रूप से सहायता दे रही है. इस प्रकार की सब्सिडी से मखाना खेती की लागत में कमी आती है और किसानों को अधिक मुनाफा होता है.
मखाना खेती का भविष्य और विस्तार
मखाना खेती का विस्तार (expansion of Makhana farming) अब बिहार से बाहर अन्य राज्यों में भी हो रहा है. इससे न केवल किसानों के लिए नए अवसर खुल रहे हैं, बल्कि भारतीय कृषि क्षेत्र में भी नवीनता आ रही है. विभिन्न राज्य सरकारें इस खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं और किसानों को आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं ताकि वे इसे अपना सकें और अधिक लाभ कमा सकें.