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इस पेड़ की बागवानी करके हो सकते हैं मालामाल, बीज तने से लेकर पत्तियां तक बेचकर कर सकते है कमाई

भारतीय कृषि परिदृश्य में किसानों ने हमेशा अपनी आजीविका और आमदनी बढ़ाने के नए तरीके तलाशे हैं।
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भारतीय कृषि परिदृश्य में किसानों ने हमेशा अपनी आजीविका और आमदनी बढ़ाने के नए तरीके तलाशे हैं। परंपरागत खेती के साथ-साथ अब किसान बागवानी और विशेष फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिनमें से एक है सहजन यानि मोरिंगा। इसे लेकर कृषि जगत में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।

सुपरफूड के रूप में सहजन की मांग

सहजन को उसके पोषण मूल्य के कारण 'सुपरफूड' भी कहा जाता है। इसमें बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे अनेक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। इसके अनोखे पोषण तत्वों के कारण सहजन का उपयोग विभिन्न आहार सप्लीमेंट्स और हर्बल उत्पादों में किया जा रहा है।

मोरिंगा की विभिन्न किस्में

सहजन की खेती के लिए विभिन्न प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं जैसे रोहित 1, धनराज, केएम 1, पीकेएम 2, जिन्हें विशेष रूप से उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता के लिए विकसित किया गया है। ये किस्में साल में दो बार फसल देने की क्षमता रखती हैं जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है।

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सहजन की खेती का तरीका

सहजन की खेती के लिए विशेष तैयारी की जरूरत होती है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन काली मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उत्तम मानी जाती है। सहजन के पौधे बीज और कलम दोनों विधियों से तैयार किए जा सकते हैं।

पौध संरक्षण और देखभाल

सहजन की खेती में कीट और रोग प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। भुजा पिल्लू और जड़ गलन जैसी बीमारियों से बचाव के लिए सही उपाय और समय पर उपचार की जरूरत होती है।

लाभकारी खेती की ओर एक कदम

सहजन की खेती से किसान न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि यह उनके खेती के प्रति दृष्टिकोण को भी बदल सकती है। इसके औषधीय गुणों और बढ़ती मांग के कारण सहजन की खेती कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है।