इस लकड़ी वाले कूलर की कूलिंग देख भूल जाएंगे AC, कीमत भी 2000 से कम और क्वालिटी भी जबरदस्त
भारतीय उपमहाद्वीप में गर्मी का मौसम अपने चरम पर होता है खासकर अप्रैल और मई के महीने में। इस समय हर कोई गर्मी से छुटकारा पाना चाहता है। इसी खोज में भीलवाड़ा के लकड़ी के कूलर एक अनोखी और पर्यावरण-अनुकूल ऑप्शन के रूप में उभरे हैं।
भीलवाड़ा
भीलवाड़ा जो राजस्थान के प्रमुख शहरों में से एक है अपने लकड़ी के कूलर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर विभिन्न आकारों और डिजाइनों में लकड़ी के कूलर बनाते हैं जो गर्मी में ठंडक के लिए एक किफायती समाधान हैं।
लकड़ी के कूलर की खासियत
लकड़ी के कूलर की मुख्य विशेषता इसकी पर्यावरणीय संगतता है। ये कूलर प्राकृतिक रूप से वातावरण से ठंडक खींचते हैं और बिना किसी रासायनिक रेफ्रिजरेंट के कमरे को ठंडा करते हैं। जीतू जैसे कारीगर जो इन कूलर्स को बनाने का काम कई पीढ़ियों से कर रहे हैं बताते हैं कि इन कूलर्स को 2 हजार से लेकर 6 हजार रुपये की रेंज में खरीदा जा सकता है जो उन्हें आम आदमी के लिए वरदान साबित है।
राज्यों में बढ़ती मांग
भीलवाड़ा के लकड़ी के कूलर न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। गर्मी के महीनों में इन कूलर्स की मांग में ज्यादा बढ़ोतरी होती है जिससे इस उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
लंबे समय के लिए प्रयोग
लकड़ी के कूलर की एक और विशेषता इसकी दीर्घायु है। इन कूलर्स की सुखी घास को समय-समय पर बदलकर इन्हें कई सालों तक उपयोग में लाया जा सकता है। इससे ये कूलर न केवल किफायती होते हैं बल्कि पर्यावरण के प्रति भी उत्तरदायी होते हैं।