जाने भारत में किस टाइप की फिल्मो को देखने पर है पाबंदी, दरवाजे को कुंडी लगाकर देखा तो भी जाना पड़ सकता है जेल
भारत में अश्लील सामग्री पर कुछ कानून हैं। साफ शब्दों में, भारत ने विदेशी फिल्मों पर बैन लगाया है। ये बैन, हालांकि, कुछ अडल्ट फिल्मों पर नहीं है। बल्कि ये बैन कुछ फिल्मों पर लगाए गए हैं। इसके साथ ही देश में इन्हें देखने और बनाने के लिए कुछ कानून भी बनाए गए हैं।
यदि कोई व्यक्ति इन नियमों और कानूनों को अकेले में या सार्वजनिक रूप से भंग करता है, तो उसे कानूनी प्रावधानों के तहत सजा हो सकती है। ऐसे ही एक केस में केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। हम इस लेख में आपको इसके बारे में बताते हैं।
केरल हाईकोर्ट वाला मामला क्या है?
दरअसल, केरल पुलिस ने कुछ समय पहले एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जिस पर आरोप लगाया गया था कि वह अकेले सड़क किनारे बैठकर अडल्ट फिल्में देख रहा था। इस मामले में केरल पुलिस ने आईपीसी की धारा 292 का उपयोग किया।
लेकिन जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णनन ने व्यक्ति पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया जब मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा। यह निर्णय देश भर में फिर से चर्चा का विषय बन गया कि केरल हाईकोर्ट ने इस व्यक्ति पर लगाए गए सभी आरोपों को क्यों खारिज कर दिया जब देश में अडल्ट फिल्मों पर बैन लगा दिया गया था?
अडल्ट कंटेंट को लेकर कानूनों को समझिए?
दरअसल, अडल्ट फिल्मों को लेकर बनाए गए कानून सिर्फ कुछ श्रेणियों पर लागू होते हैं। जैसे, अकेले में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखना गैरकानूनी होगा और अपराध की तरह देखा जाएगा। ऐसा करने पर आपके खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है और आपको इसी कानून के तहत सजा भी हो सकती है। अगर आप किसी महिला के साथ रेप का वीडियो देखते हैं, तो आप भी सजा पा सकते हैं।
किस तरह के कंटेंट को देख सकते हैं?
यह गैरकानूनी नहीं है अगर कोई अकेले सामान्य अडल्ट कंटेंट देख रहा है, जो आम लोगों के लिए बनाया गया है। साथ ही जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णनन ने कहा कि ऐसे मामले अपराध नहीं होते। यह भारत के प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत पसंद का मामला है।