यूपी के इन 6 जिलों में भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी, जाने आपके जिले में कैसा रहेगा आज का मौसम
UP weather update: उत्तर प्रदेश में बीते दो दिनों से राजधानी लखनऊ समेत कई इलाकों में बारिश (rainfall in Lucknow) का दौर जारी है जिससे कुछ स्थानों पर लोगों को उमस से राहत मिली है जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में जलभराव (waterlogging situations) की स्थिति उत्पन्न हो गई है. मौसम विभाग ने 14 सितंबर को राज्य के छह जिलों में बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है जिसमें बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर आदि शामिल हैं.
ऑरेंज अलर्ट और इसके मायने
उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, ज्योतिबा फुले नगर, बरेली, और पीलीभीत जिलों में 14 सितंबर को लखनऊ आईएमडी (IMD Lucknow) से प्राप्त जानकारी के आधार पर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. इस दौरान इन इलाकों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की संभावना है, जिससे स्थानीय निवासियों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
बारिश का भौगोलिक वितरण
मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश की अधिक संभावना है, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौसम साफ रहने (clear weather in Eastern UP) की उम्मीद है. आने वाले 3 से 4 दिनों तक राज्य में मौसम साफ बने रहने की संभावना है, जिससे रोजमर्रा की गतिविधियाँ सामान्य रूप से चल सकेंगी.
मानसून की रफ्तार में कमी
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है और यह मानसून का आखिरी दौर (last phase of monsoon) है. सितंबर के अंत तक बारिश का सिलसिला थमने की संभावना है, जिससे कृषि और अन्य आउटडोर गतिविधियों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा.
हाल ही में दर्ज की गई बारिश
उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को विभिन्न इलाकों में विशेष रूप से भारी बारिश दर्ज की गई. लखीमपुर खीरी में सबसे अधिक 23.4 मिलीमीटर, बरेली में 11.6 मिलीमीटर, नजीबाबाद में 16 मिलीमीटर, मुजफ्फरनगर में 22.8 मिलीमीटर, इटावा में 14.6 मिलीमीटर, मुरादाबाद में 15.2 मिलीमीटर, अलीगढ़ में 9.2 मिलीमीटर, आगरा में 3.8 मिलीमीटर, शाहजहांपुर में 2.2 मिलीमीटर, मेरठ में 3.4 मिलीमीटर, फतेहगढ़ में 5 मिलीमीटर, और वाराणसी बीएचयू में 0.2 मिलीमीटर तक की बारिश रिकॉर्ड की गई.
मानसून और इसका असर
मानसून की वजह से उत्तर प्रदेश में कई सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं जैसे कि जलभराव से फसलों के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ना और गर्मी से राहत मिलना. हालांकि, कुछ नकारात्मक प्रभाव जैसे कि अत्यधिक जलभराव से यातायात में बाधा और रोजमर्रा की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ना भी देखा गया है.