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Haryana Weather Forecast: हरियाणा में एकबार फिर एक्टिव होगा मानसून, इन जिलों में होगी झमाझम बारिश

हरियाणा में आज रात से मानसून फिर से सक्रिय होने जा रहा है. मौसम विभाग ने 12 सितंबर को गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, और पलवल जिलों में हैवी रेन का अलर्ट (Heavy Rain Alert) जारी किया है.
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Haryana Weather Forecast: हरियाणा में आज रात से मानसून फिर से सक्रिय होने जा रहा है. मौसम विभाग ने 12 सितंबर को गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, और पलवल जिलों में हैवी रेन का अलर्ट (Heavy Rain Alert) जारी किया है. इसके पीछे का कारण बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी युक्त हवाएँ हैं जो मानसून को प्रभावित कर रही हैं.

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मौसम विशेषज्ञों की ताजा अपडेट

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव के क्षेत्र और पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता (Western Disturbance Activation) के कारण, 14 सितंबर तक हरियाणा में बारिश की गतिविधियों में वृद्धि होने की संभावना है. ये दोनों ही कारक मानसूनी बारिश को प्रभावित करते हैं.

हरियाणा के विभिन्न जिलों में बारिश का आँकड़ा

हरियाणा के विभिन्न जिलों में पिछले 24 घंटे में बारिश की मात्रा में भिन्नता देखी गई. सोनीपत में सबसे अधिक 61.5 मिमी बारिश (Highest Rainfall in Sonipat) दर्ज की गई, वहीं अन्य जिलों में भी हल्की से मध्यम बारिश हुई है. इस बारिश से किसानों और स्थानीय निवासियों को काफी राहत मिली है.

मानसून के आने वाले दिनों का पूर्वानुमान 

अगले कुछ दिनों में मानसून की गतिविधियाँ कम रहने की संभावना है क्योंकि मानसून ट्रफ उत्तरी भारत में स्थिर बनी हुई है. 9 से 12 सितंबर के बीच हरियाणा के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में मौसम में बदलाव (Weather Change in Northern and Southern Districts) आएगा और हल्की बारिश हो सकती है.

येलो अलर्ट और मौसम की स्थिति

भारतीय मौसम विभाग ने हरियाणा के कुछ जिलों में येलो अलर्ट (Yellow Alert Issued) जारी किया है, जिसका मतलब है कि इन जिलों में बारिश की अधिक संभावना है. इस अलर्ट को जारी करने का मुख्य कारण बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव का क्षेत्र और पश्चिमी विक्षोभ है.

जुलाई में मानसून की स्थिति और इसके असर 

हरियाणा में इस वर्ष जुलाई में बारिश काफी कम हुई है, जो कि पिछले पाँच वर्षों में सबसे कम है. कम बारिश के कारण (Low Rainfall Impact) धान उत्पादक किसानों को खासी परेशानी हो रही है और उन्हें अपने खेतों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है.